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पार्क में मिली लेडी को पटा कर चोदा

 मेरा नाम परम है, मैं चंडीगढ़ में रहता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि आपको यह गर्म कहानी अच्छी लगेगी।

यह हॉट आंटी चुदाई कहानी लॉकडाउन से पहले की है। मैं शाम को अक्सर पार्क जाया करता था, इस बहाने से घूमना भी हो जाता, साथ में मस्त मस्त आंटियों और भाभियों को ताकना भी हो जाता था।

वहां पार्क में कुछ दिनों से एक मस्त आंटी घूमने आने लगी थीं। आंटी देखने में गोल मोल सी माल किस्म की आइटम थीं, पर उनकी उम्र 35-40 के आस-पास की थी।

कसम से उनके बड़े बड़े तरबूज देख कर बार बार उनको देखने का मन करता था। वैसे भी मुझे गोल मटोल माल ताकना बहुत पसंद हैं।
मोटे मोटे मम्मों हाथ में लेकर दबाने और चूसने का मज़ा ही अलग है।

पार्क में जिस समय आंटी एक्सरसाइज़ करती थीं, तो उनकी छातियां ऐसी हिलती थीं, जैसे कोई मदमस्त हथिनी उछल रही हो। आंटी की कमर से लेकर पिछवाड़े तक वो कयामत ही कयामत थीं।

दोस्तो, मैं मानता हूँ कि पतली कमर … पतली फिगर का अलग मजा है मगर मोटे और भरे हुए फिगर का मजा कुछ ज्यादा ही अलग होता है।

कुछ दिन तक तो मैं आंटी को देखता रहा। फिर धीरे धीरे करके मैंने उनके पीछे जाकर उनके घर तक जाना शुरू कर दिया।

आंटी रोज रोज पार्क नहीं आती थीं, ये एक गड़बड़ वाली बात थी। वो कभी घूमने आतीं, कभी मिस कर जातीं।

मैंने इस बात की जानकारी की तो पता चला कि वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां रह कर किसी कम्पटीशन की तैयारी करने के लिए पढ़ने आयी हैं।
इसी वजह से उनका आना नियमित नहीं हो पाता था।

कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा।

धीरे धीरे उनको शक हो गया, अब वो मुझे घूर कर देखने लगी थीं।
मुझे लगा कि शायद बात ना बने। इसलिए मैंने उनके पीछे जाना बंद कर दिया और पार्क में ही आंखें सेंकना चालू कर दिया।

फिर एक दिन आंटी की स्कूटी लेकर आई थीं। उनकी स्कूटी पार्किंग में पार्क की हुई थी। उनकी स्कूटी के पीछे कोई और अपना स्कूटर लगा गया था।

जब मैं पार्क से बाहर आया, तो मैंने देखा कि वो अपनी सहेली की मदद से स्कूटर हटाने में लगी हुई थीं। मैंने सोचा मौका है, पर जैसे वो मुझे घूर कर देखती थीं, उससे मेरी उनसे कुछ बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई।
मुझे लगा कि मैंने उससे मदद के लिए कहा भी, तो कहीं वो अभी मुझे ही पकड़ कर गाली ने दे दें। इसलिए मैंने बिना कुछ कहे, साइड से अपना स्कूटर निकाला और स्टार्ट करने लगा।

ये देख कर उसकी साथ वाली ने उससे कुछ कहा तो आंटी ने मुझे आवाज लगाई- एक्सक्यू मी।
मैंने कहा- हां जी?
आंटी ने कहा- आप जरा यह स्कूटर साइड में कर देंगे।

मैंने स्कूटर पीछे से उठा कर, उनकी स्कूटी निकालने का रास्ता बना दिया।
वह थैंक्यू बोल कर चल दीं।

मैंने मन में सोचा कि इसने तो कुछ घास ही नहीं डाली, मगर किया भी क्या जा सकता था। मैं मन मसोस कर रह गया।

फिर दूसरे दिन पार्क में घूमते समय आंटी के पांव में अचानक से मोच आ गई … और किस्मत देखो कि जहां मैं बैठा था, वहीं पास में आंटी के साथ ये हादसा हुआ। उस समय वो एकदम से गिरने को हुईं, तो उनके साथ चल रही उनकी सहेली ने उनको एकदम से सहारा दिया और वो उन्हें उठा कर मेरी वाली बैंच पर लाने लगीं।

मैंने उन्हें गिरते देखा, तो मैंने भी मदद की और आंटी को वहां लाकर बैंच पर बैठा दिया।

अब मैं उनको देख रहा था और वो मुझे देख रही थीं।
शायद उनमें अब कुछ शर्म सी आ गई थी।

मैंने कहा- आप आराम से बैठ जाओ।
वह बोलीं- नहीं, आप भी बैठ जाओ। इधर काफी जगह है।

साथ ही आंटी ने मुझे थैंक्यू बोला।
मैंने मौका देख कर बोल दिया- आपको चोट भी लगी है या सिर्फ लचक आई है?
उन्होंने कहा- नहीं चोट नहीं है, बस पांव मुड़ गया है।

कुछ टाइम खामोशी रही।
फिर वो मुझसे बोलीं- क्या आप यहीं कहीं नजदीक में रहते हो?
मैंने कहा- हां।

उनकी बात सुकर मैं हैरान भी हो गया था कि वो मुझसे बात कर रही हैं।

इस बीच उनके साथ वाली कहीं चली गई थी, शायद वो अपनी वाक करने निकल गई थी।
हम दोनों ही अकेले थे।

उन्होंने एकदम से बात बदलते हुए कहा- आप मुझे घूरते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- नहीं नहीं … ऐसा कुछ नहीं है।
वो बोलीं- मैंने तुम्हें कई बार नोटिस किया है।

अब मुझे समझ में ही नहीं आया कि आंटी से क्या कहूं।
मैंने सॉरी बोल दिया- अगर आपको ऐसा कुछ लगा है, तो मैं आपसे क्षमा मांगता हूँ।

वो मेरी बात सुनकर बोलीं- मैं शादीशुदा हूं।
मैंने फिर से सॉरी बोला … और चुप हो गया।

कोई आधा घंटे बाद वो अपनी उस सहेली के आते ही उसके साथ चली गईं।

दोस्तो, उस रात को सारी रात मैं उनकी याद करता रहा और उनकी फिगर को याद करता रहा।
आंटी उस समय जब गिरी थीं तब मेरे इतने पास थीं कि उनके बड़े बड़े दूध मुझे बड़ा ही आकर्षित कर रहे थे, काश मैं अपने हाथ में एक को पकड़ पाता।

उस रात मैं बस उनको सोचता रहा और मेरा बुरा हाल हो गया। मैं दो बार मुठ भी मारी और सो गया।

दो दिनों तक आंटी का आना नहीं हुआ, फिर वापस पार्क में आना शुरू हो गया।

अब मेरा उनकी आंखों में आंखों को डालकर देखा, तो इस बार न जाने क्यों आंटी ने भी मेरी आंखों को बड़ी गौर से देखा।
मैंने भी देखना जारी रखा। हम दोनों में एक दूसरे को देखना शुरू हो गया।

कुछ देर बाद मैं आंटी से आंख मिलने पर अपनी आंख नीचे कर लेता कि कहीं पार्क में कोई ड्रामा ना हो जाए।

उस दिन कुछ नहीं हुआ मगर इतना हो गया था कि आंटी ने मुझे देखना पसंद कर लिया था।

फिर एक दिन पार्क में कोई बैंच खाली नहीं थी, तो मैं हिम्मत करके उसी बैंच पर बैठ गया, जिस पर वो बैठी थीं।
मैंने बैठते हुए आंटी को हल्की सी स्माइल दे दी।
वो भी मुस्करा दीं।

मैंने ‘हैलो ।।’ बोल दिया।
तो उन्होंने भी हैलो बोल दिया।

आज वह अकेली थीं। मैंने पूछा- आप आज वॉक नहीं कर रही हैं!
वो बोलीं- आज कोई साथ में नहीं है, तो बस मन नहीं हुआ और बैठ गई।

फिर मेरी उनसे कुछ बातें हुईं, तो पता चला कि कुछ दिन बाद उनका कोई एग्जाम है, फिर वो वापस चली जाएंगी।

जैसे ही मुझे उनके वापस जाने की बात मालूम हुई; तो मेरे मुँह से एकदम से निकल गया- आप चली जाओगी, तो फिर मेरा भी पार्क आना बंद हो जाएगा।
वह बोलीं- क्यों?
मैं बोला- कुछ नहीं … वैसे ही।

वो समझ तो गई थीं। मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं।
फिर उन्होंने मुझसे किसी मार्केट का पता पूछा कि कुछ किताबें लेनी हैं, क्या इस बाजार में मिल सकती हैं?
मैंने बताते हुए कहा- हां उधर आपको किताबें मिल सकती हैं। अगर आपको मेरी कोई हेल्प चाहिए हो, तो फोन कर लेना।

उन्होंने मना कर दिया, मगर मैंने जबरदस्ती अपना नंबर दे दिया और वहां से निकल गया।

उसी रात मुझे मैसेज आया। तब करीब ग्यारह बजे थे। मैं मैसेज देख कर हैरान था कि ये कौन होगा।

मैंने उनके व्हाट्सैप की डीपी को देखा, तो ये आंटी ही थीं।

फिर उनसे कुछ देर मैसेज पर बात हुई। उन्होंने एक बार फिर से पूछा- तुम मुझे देखते क्यों रहते थे?
मैंने बात टाल दी।

पर वे ज़िद करने लगीं कि बताओ।
मैंने बोला- आप बुरा तो नहीं मानोगी?
आंटी ने एक स्माइली के साथ लिखा- तुम बोलो तो सही।

मैंने सोचा आंटी चोदने को मिले या ना मिले … मगर आज इन्हें बोल ही देता हूं। देखूंगा कि क्या होता है।

मैंने लिखा- आपकी लुक्स बहुत अच्छी है … कोई भी आपको देख कर पागल हो जाएगा।
वो आंखें नचाने वाली इमोजी के साथ बोलीं- ऐसा मुझमें क्या ख़ास है?

मैंने बोला- मेरी आप जैसे फिगर वाली गर्लफ्रेंड हो … तो मेरी तो किस्मत ही खुल जाए।
वो हंस पड़ीं।

फिर धीरे से मैंने बोल दिया कि मुझे आपके बड़े बड़े गोल गोल वो बहुत पसंद हैं।
आंटी बोलीं- हम्म … तो तुम मेरे बूब्स पर नजर रखते हो।

मैं समझ गया कि आंटी खुद ही चुदने को मचल रही हैं।
मैंने कहा- हां बहुत ज्यादा।
वो बोलीं- कितना ज्यादा?

मैंने कहा- कच्चा खाने का दिल करता है।
वो फिर से हंस दीं और बोलीं- चैट से कैसे खा सकते हो?

मैंने कहा- वीडियो चैट से कुछ तो हो ही सकता है।
वो बोलीं- अरे सीधे मिल कर बात करते हैं न!

मैंने मुस्कुरा कर कहा- ये तो वही मिसाल हुई कि अंधा क्या चाहे … दो आंखें।
वो हंस दीं और बोलीं- दो आंखें या दो बड़े बड़े गोल गोल!

मैंने उतावला हुआ बोला- हां हां वो दोनों ही।
वो बोलीं- तो चलो मिलते हैं।

इसके बाद हम दोनों का मिलने का प्रोग्राम बन गया।

अगले दिन किताबें लेकर आंटी आईं और बोलीं- हम दोनों एग्जाम के बाद मिलते हैं।

फिर एग्जाम वाले दिन के एग्जाम देकर वो बाहर निकलीं। उस दिन उन्होंने मुझे बाहर मिलने का कहा था।

वो एग्जाम देकर मुझसे मिलीं।

हम दोनों उनकी सहेली के घर चले गए।

मैं आंटी के साथ उस घर के अन्दर चला गया।
उधर एक बेडरूम हम दोनों के लिए खाली था।

मैंने उनको पानी की बोतल देते हुए पानी ऑफर किया।

वह हंस कर बोलीं- इसमें कुछ मिलाया तो नहीं है?
मैंने बोला- मुझे आपके साथ अगर कुछ करना होगा, तो वो मैं आपकी परमिशन से करूंगा।

पानी पीने के बाद वो बेड पर बैठ गईं, मैं भी साथ बैठ गया और उनकी आंखों में देखने लगा।

वो मुझसे चिपक कर बैठी थीं।
मैंने उनके सिर के साथ अपना सिर लगा दिया और उनके कान को हल्के हल्के से किस करने लगा।
वो ‘उंह ।।’ बोल कर मुझसे जुड़ने लगीं।

तो मैंने उनके कान की लौ को अपने होंठों में भर की और चूसने लगा।
इससे वो एकदम से गर्मा उठीं और अलग होकर मना करते हुए बोलीं- इससे बड़ी सनसनी हो रही है।

मैंने उनकी टांगों के ऊपर हाथ फेरना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उनकी जांघों को दबाते हुए मसाज जैसा करना शुरू कर दिया।
वो मस्त होने लगीं।

अबकी बार मैंने उनके गले पर किस कर दी और उनको सिर्फ किस के लिए मना लिया।

वो राजी हो गईं … या ये उनकी नारी सुलभ लज्जा थी जो एकदम से पूरी खुलना नहीं चाह रही थीं। इसलिए मैंने भी चुम्मी की परमीशन ली और लग गया।

मैं उनके गले से गाल तक चुम्बन करने लगा।
सच में बड़े ही प्यारे प्यारे गाल थे आंटी के।
मैं कभी उनके एक गाल पर होंठ रख कर चूमता तो कभी दूसरे गाल पर किस करने लगता।

वो भी आंखें बंद करके मेरे साथ मजा ले रही थीं।
मगर उनके मुँह से यही निकल रहा था कि अब बस अब बस … मगर खुद ही अपने गालों को मेरे सामने करती जा रही थीं।

मैंने ये देखा तो आंटी का निचला होंठ अपने होंठों में भर लिया। उन्होंने मुझे धक्का मारा … मगर मैंने पीछे न हटते हुए उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर की कशमकश के बाद वो आराम से बैठ गईं और मैं किसी प्यासे भंवरे की तरह उनके होंठों का रस पीने लगा।

वो मुझमें खो सी गई थीं। हम दोनों एक दूसरे के होंठों में होंठ डाल कर स्मूच करने लगे।

हमारी गर्मी बढ़ने लगी तो मैंने आंटी के मम्मों के ऊपर हाथ फिराना शुरू कर दिया और एक दूध दबाने लगा। वो मेरे हाथों पर अपने हाथ रख कर अपने दूध को और जोर से दबाने का इशारा करने लगीं।

मैं समझ गया कि अब किला फ़तेह करने का वक्त आ गया।

मैंने होंठों से एक पल की मुक्ति पाकर उन्हें देखा तो वो नशीली आंखों से मेरी तरफ देखने लगीं।
अगले ही पल आंटी ने अपने होंठों से मेरे गाल चूम लिए और बोलीं- अब ऐसे मत देखो … मुझे वो सब चाहिए।

मैंने भी बिना कुछ बोले उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। आंटी ने खुद ही अपने सारे कपड़े खोल दिए और मुझे बोलीं- तुम भी उतार दो।

हम दोनों ने अगले एक मिनट में सारे कपड़े उतार दिए थे। आंटी मेरे सामने सिर्फ ब्रा पैंटी में थीं।

मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को किस करना शुरू कर दिया। कभी मैं उनकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबा देता, कभी दांत से काट लेता तो आंटी मादक सीत्कार भरके अपनी उत्तेजना जाहिर कर देतीं।

मैंने आंटी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके ब्रा का हुक खोलने के बाद उन्हें देखा। वाऊ क्या मस्त मम्मे थे … मैंने एक को मुँह में ले लिया और उसके ऊपर सजे निप्पल को चूसना शुरू कर दिया। आंटी सिसक उठीं और मेरे मुँह में निप्पल ठेलने लगीं।

मैं कभी एक निप्पल चूसता … तो कभी दूसरा चूसने लगता। चूसने के साथ ही निप्पलों को बारी बारी से दांतों से काटते हुए मजा लेना और आंटी के पूरे दूध को मुँह में डालने कोशिश करते हुए चूसना। इससे आंटी को बेहद चुदास चढ़ गई थी और वो मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी थीं।

ये देखकर मैं आंटी को लिटाते हुए उनके पेट पर आ गया और उनकी नाभि को चूमना शुरू कर दिया।
आंटी की पूरी नाभि को किस करने के बाद मैंने अपनी जीभ को आंटी की नाभि के छेद में डाल दी और उसको कुरेदने लगा।

आंटी एकदम से सिहर उठीं और उनका पेट मचलने लगा।
वो मेरे सर पर हाथ रख कर मुझे दबाते हुए मना कर रही थीं- आह मत करो … गुदगुदी होती है।

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये औरतें मर्द से मजा लेते समय उनका सर दाबते हुए न करने की क्यों कहती हैं। मगर यही होता है। इसे ही औरत की चुदास कहते हैं।

मैं कभी पेट के एक साइड चूमता, कभी दूसरी साइड चूमने लगता।

फिर मैंने आंटी को पलट दिया और उनकी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया। उन्हें यूँ ही ऊपर कंधों पर और बीचों बीच में किस करते करते मजा लेने और देने लगा। मैं धीरे धीरे नीचे कमर पर आया, कमर से उनके चूतड़ों पर आ गया।

आह क्या मुलायम चूतड़ थे, मुझे पता नहीं क्या हुआ … मैंने आंटी के चूतड़ों को हाथों से दबाना शुरू कर दिया और कस कस के दबाता रहा।
वो मादक सिसकारियां लेती जा रही थीं।

फिर मैंने उनके सेक्सी मुलायम चूतड़ों को चूसना शुरू कर दिया। चूतड़ों से नीचे आकर मैं उनकी जांघ को किस करने लगा और किस करते करते उनकी पूरी टांगों को चूम डाला।

हॉट आंटी की सिसकती आवाज़ मुझे और मदहोश कर रही थी और शायद अब तक उनकी चुत में जबरदस्त आग लग चुकी थी।

आंटी से रहा नहीं गया और वो उठ कर बैठ गईं। उन्होंने अपनी चड्डी उतारी और अपने दोनों हाथों ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी गोद में बैठने का उपक्रम करने लगीं।

मैंने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया। हम दोनों स्मूच करने लगे। हमारे बदन पसीना पसीना होने लगे थे।

मैं नंगा था।
मेरा खड़ा लंड हॉट आंटी पकड़ रही थीं।

मैं अपना लंड उनकी टांगों के अन्दर घुमाने लगा कि अचानक मेरा लंड आंटी की गर्म ज्वालामुखी जैसे लपलपाती चुत में घुसता चला गया।

आंटी ने कमर को लंड पर दाबते हुए लंड लील लिया और कस कर मुझे पकड़ कर आह करने लगीं।
पूरा लंड चुत में चला गया था।

अब मैंने उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया। आंटी ने अपनी चुत में लंड लिए हुए ही अपनी टांगें हवा में उठा दीं और मैंने लौड़ा चुत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।

मैं लंड को धीरे से अन्दर पेलता … फिर धीरे से बाहर खींचता।

कोई पांच मिनट तक ऐसे करने के बाद मैंने स्पीड बढ़ा दी और आंटी ने भी अपनी टांगें फिर से चौड़ी कर दीं।

अब मैं रुक रुक कर धक्के मारने लगा, पर इस समय उन्होंने मेरी टांगों को अपनी टांगों में कस कर जकड़ लिया था और गांड उठाते हुए ऊपर को धक्के मारने लगी थीं।

कुछ देर की इस मस्त चुदाई के बाद हम दोनों ने पानी छोड़ दिया। सच में काफी देर तक आंटी मेरी टांगों को कस कर लेटी रहीं।

फिर उन्होंने ढील दी और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।

अब अलग होने की बेला आ गई थी। मैं उनके ऊपर से उठा, तो आंटी ने भी एक कपड़े से अपनी चुत को साफ़ किया।
मैंने उसी कपड़े से लंड को पौंछा।

फिर उन्होंने अपने कपड़े पहन कर गुडबाय किस की और बाहर चली गईं।

उनके जाते ही मैं भी कपड़े पहन कर बाहर निकल आया।
बाहर उन हॉट आंटी की सहेली भी थी।

हम तीनों ने कुछ देर बात की फिर मैं उधर से चला गया।

इसके बाद आंटी मुझे कभी नहीं मिलीं।

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