मैं आरव एक बार फिर से सुगंधा भाभी की चुत चुदाई की कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ।
कहानी के पिछले भाग में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं चलती बस में भाभी को गर्म कर रहा था। उनकी चूचियों को मसल रहा रहा और उनके होंठों को चूस चूम रहा था। तभी भाभी ने मुझे रोक दिया और मेरी आंखों में झांकने लगीं।
अब आगे :
सुगंधा भाभी सेक्सी स्माइल के साथ थोड़ा शर्मा रही थीं।
मैं- तो क्या ख्याल है!
सुगंधा भाभी- किस बारे में!
मैं- सेक्स के बारे में।
सुगंधा भाभी- नहीं।
मैं- मुझे लगा कि आप तैयार हो।
सुगंधा भाभी- अभी हम बस में हैं और आसपास सभी लोग हैं।
मैं- सभी लोग सो रहे हैं भाभी … और कम्पार्टमेंट में हमें कोई नहीं देख सकता।
सुगंधा भाभी- नहीं … रिस्क ज्यादा है।
भाभी की बात से मुझे ये अहसास तो हो गया था कि उनका भी चुदने का मन है लेकिन इस समय हम दोनों बस में हैं … तो वो डर रही हैं।
दूसरी तरफ मेरा बहुत मन कर रहा था और अभी भाभी सेक्स के लिए तैयार नहीं थीं।
मुझे सुगंधा भाभी को सेक्स के लिए किस तरह से मनाना है, वो मुझे अच्छी तरह से पता था।
मैं- कोई बात नहीं भाभी … लेकिन हम रोमांस तो कर ही सकते हैं।
मेरी इस बात पर भाभी ने स्माइल कर दी और मैंने भाभी को किस करते हुए उन्हें लेटा दिया। अब मैं भाभी के ऊपर झुक कर उन्हें किस करने लगा था।
हम दोनों किस करने में मशगूल थे और तभी बस में बेक्र लगा। इस झटके का सहारा लेकर मैं सुगंधा भाभी के ऊपर गिर गया, जिस वजह से हम दोनों के बदन एकदम से रगड़ गए।
मेरे सीने से भाभी के कातिलाना मम्मे भी दब गए।
भाभी एकदम से आह कर उठीं। फिर मैं भाभी से थोड़ा दूर हो गया।
हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखकर स्माइल करने लगे और वापस से दोनों किस करने लगे।
मैंने इस बार पहल करके एक हाथ भाभी के मम्मों पर रख दिए। इस बार भाभी ने कोई एतराज नहीं जताया … तो मैं उनके मदमस्त मम्मों को सहलाने लगा।
अपने मम्मों को सहलवाने की वजह से सुगंधा भाभी गर्म होने लगीं।
मैं खुद यही चाहता था।
लेकिन तभी सुगंधा भाभी ने मुझे फिर से रोक दिया- हम दोनों लिमिट क्रॉस कर रहे हैं।
मैं- इस समय हम दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है भाभी … और अब मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो रहा।
मैं क्या कहना चाहता था, वो इस बात को अच्छी तरह से जानती थीं। लेकिन हम दोनों बस में थे और इसलिए वो डर रही थीं।
सुगंधा भाभी- किसी को पता चल गया तो दिक्कत हो जाएगी।
मैं- सभी लोग सो रहे हैं भाभी … किसी को पता नहीं चलेगा।
सुगंधा भाभी- तुम समझो यार … अभी सही समय नहीं है।
मैं- मेरा फाइटर प्लेन आपके एयरपोर्ट पर लैंड होना चाहता है भाभी।
सुगंधा भाभी- नहीं, अभी नहीं।
सुगंधा भाभी की बातों से इतना तो पक्का हो गया था कि उनका भी चुदाई का मन है … लेकिन वो डर रही थीं।
जबकि मुझे आज की रात ही इसी बस में सुगंधा भाभी की चुत पेलनी थी।
मैं- प्लीज़ भाभी अभी बहुत मन है … मैं खुद को ज्यादा देर कन्ट्रोल नहीं कर सकता अब।
सुगंधा भाभी- मैं समझ सकती हूँ लेकिन यहां ये सब सम्भव नहीं है।
मैं- मुझे माफ कर देना … मैं आपके ज्यादा ही नजदीक आ गया।
सुगंधा भाभी- यार मेरी बात का बुरा मत मानो … समझो अभी हम दोनों बस में है और आसपास लोगों को पता चल सकता है … और ऊपर से प्रोटेक्शन के बिना!
मैं- पूरी बस में आपको कोई नहीं जानता, तो आप चिंता मत करो। मैं सब सभाल लूंगा। मेरा आपसे वादा है कि मैं पूरी सावधानी रखूंगा।
सुगंधा भाभी- फिर कभी मौका मिलेगा … तब सोचेंगे, अभी रहने दो।
मैं- अभी आपका मन है या नहीं?
सुगंधा भाभी- मुझे डर लग रहा है किसी को पता चल जाएगा इसलिए!
मुझे पता था कि सुगंधा भाभी बातों से अब मानेंगी नहीं, इसलिए मैं बिना कुछ बोले उनके होंठों को चूमने लगा। जिससे उनको थोड़ी दिक्कत तो हुई लेकिन सुगंधा भाभी मुझसे दूर जा नहीं सकती थीं, तो वो मुझे कुछ नहीं बोलीं।
मैं अब फुल मस्ती में आ गया था और भाभी के गुलाबी होंठों को चूमते हुए उसके एक भरे हुए दूध को सहलाने लगा, जिससे वो फिर से गर्म होने लगी थीं।
अभी मैं ऐसी पोजिशन में था, जिस वजह से मेरा खड़ा लंड भाभी को टच हो रहा था। हम दोनों पांच मिनट तक रोमांस करने में मशगूल रहे।
मैं- तो अब मुझे परमिशन दे दो भाभी जान।
सुगंधा भाभी मुझे होंठों पर चूमते हुए वासना से भरी आवाज में शरारत करते हुए बोलीं- आह कैसी परमिशन।
मैंने भी उनकी जीभ को चूसा और सरसराते हुए कहा- परमीशन दे दो यार … क्यों सता रही हो!
हम दोनों धीमी आवाज से बात कर रहे थे ताकि किसी को हमारी बात सुनाई ना दे।
भाभी मेरा कहने का मतलब तो कब से समझ गई थीं, लेकिन फिर भी वो अनजान बन कर मुझे तड़फा रही थीं।
वे बोलीं- मैंने कब सताया है?
मैं स्माइल करके बोला- भाभी मुझे आपके ऊपर चढ़ने की परमिशन चाहिए।
सुगंधा भाभी- ऊपर चढ़कर क्या करोगे?
मैं- आपकी सेवा।
सुगंधा भाभी- अच्छा!
मैं- तो अब क्या ख्याल है?
सुगंधा भाभी- प्रोटेक्शन के बिना …
मैं- मैं पूरा ख्याल रखूंगा।
सुगंधा भाभी स्माइल करके मेरे लंड को हिला कर बोलीं- ठीक है।
मैं- तो आप कपड़े निकाल रही हो या मैं निकाल दूँ।
सुगंधा भाभी- नहीं, मैं कपड़े नहीं निकाल सकती … तुम ऐसे ही कर लो।
मैं- मतलब!
सुगंधा भाभी- तुम अच्छी तरह समझ गए हो।
मैं स्माइल करके भाभी के होंठों को चूमने लगा। अब भाभी पूरी मस्ती से साथ दे रही थीं।
इस वक्त तो सुगंधा भाभी भी अपनी मखमल जैसी चुत में मेरा लंड लेना चाह रही थीं।
हम दोनों आंखें बंद करके किस कर रहे थे।
मैं भाभी को किस करते हुए साड़ी पेटीकोट ऊपर करके उनकी नंगी हो चुकी चिकनी जांघ को सहलाने लगा।
तभी भाभी ने कमर उठा कर मेरे लंड से चुत को रगड़ा और इशारा कर दिया।
मैं भी उनकी चुत की आवाज को समझ गया था। मैंने भाभी जी की टांगें फैला कर उनको चुदाई की पोजीशन में लेटा दिया।
मैं- आप अपनी आंखें बंद कर लो।
सुगंधा भाभी- क्यों?
मैं- आप आंखें तो बंद करो यार … सब पता चल जाएगा।
सुगंधा भाभी ने अपनी आंखें बंद कर दीं और उसी समय मैंने अपनी पैंट की जिप खोल करक बड़ी मुश्किल से जल्दी जल्दी अपनी पैंट और चड्डी को निकाल दिया।
इस काम के लिए मुझे बहुत ध्यान रखना पड़ा क्योंकि जगह कम थी और शोरगुल न हो इसका पूरा ख्याल रखना जरूरी था।
मेरा लंड एकदम तना हुआ था और हवा में लहरा रहा था।
लंड निकालने के बाद मैंने भाभी से आंख खोलने को कहा।
भाभी ने अपनी आंखें खोल दीं और मेरे खड़े लंड को देख कर हैरान रह गईं।
हालांकि खड़ा लंड देख कर भाभी कुछ बोली नहीं क्योंकि उनको पता था कि इसी लंड से उनकी चुत चुदने वाली थी।
फिर मैं भाभी की जांघ को सहलाते हुए उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके पेट पर कर दिया।
चुत की तरफ देखा तो मुझे भाभी की पैंटी गीली दिखी। मतलब ये था कि खुद भाभी चुदने के लिए मचल रही थीं।
मैं उनकी पैंटी पर हाथ फेरा तो हम दोनों ने एक दूसरे को देखकर स्माइल कर दी।
मैंने भाभी की गीली पैंटी निकालकर साइड में रख दी। सुगंधा भाभी की मदमस्त चुत को देखकर मेरा लंड डोलने लगा था।
इस समय भाभी थोड़ी लजा रही थीं क्योंकि वो दूसरे मर्द से चुदने वाली थीं।
काश … इस वक्त हम दोनों होटल में होते, तो मैं भाभी को पूरी रात पेलता रहता।
लेकिन हम अभी चलती हुई बस में थे … तो मुझे थोड़ा संभाल कर उन्हें चोदना होगा।
वैसे तो भाभी चुत कई बार चुद चुकी होगी … लेकिन उनकी चुत एकदम मखमल जैसी थी।
मुझसे ज्यादा कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं स्माइल करके भाभी के ऊपर चढ़ गया।
मैंने अपनी पोजिशन ले ली और अपने खड़े लंड को भाभी की मखमल जैसी चुत पर सैट कर दिया।
जैसे ही मेरा लंड चुत को टच हुआ, भाभी थोड़ी सी सिहर उठीं।
मैं- आप तैयार हो?
सुगंधा भाभी- हां धीमे डालना।
मैंने धीमे से धक्का लगा दिया लेकिन लंड फिसल कर नीचे चला गया।
फिर से मैंने लंड सैट किया और इस बार मैंने लंड के सुपारे को पहले भाभी की मखमल जैसी चुत की फांकों पर रगड़ा ताकि चुत का मुँह खुल जाए और धक्के मारने से सीधा अन्दर जा सके।
यही हुआ भी … भाभी ने फांकों में सुपारे को महसूस किया, तो उसे अन्दर आने का रास्ता दे दिया। लंड का सुपारा भाभी की चुत में घुस गया।
इससे भाभी छटपटाने लगी थीं।
तभी मैंने दोबारा धक्का लगा दिया। इस बार आधा लंड चुत में घुस गया।
उसी पल सुगंधा भाभी के मुँह से ‘आहह … मर गई।’ निकल गया। मैंने धक्का लगाना शुरू कर दिया।
लंड चुत में जाते ही भाभी के चेहरे के हाव-भाव एकदम बदल गए थे।
जैसे ही भाभी की मखमल जैसी चुत में मेरा लंड घुसा … मैं तो मानो स्वर्ग में आ गया था। ऐसा लग रहा था, जैसे जन्नत की हूर ने मेरे लंड को अपनी बुर में जगह दे दी हो।
जैसे जैसे मैं धक्का लगाता गया, वैसे वैसे भाभी की कामुकता बढ़ने लगी थी।
इस समय मैं ऐसी परिस्थिति में था जब ना तो मैं भाभी को बेरहमी से चोद सकता था और ना वो जोरों से कामुक आवाज निकाल सकती थीं।
चलती बस में सभी लोग सो रहे थे और हम दोनों इधर अपनी आवाज दबा कर चुदाई में मशगूल थे।
जैसे जैसे मेरा लंड भाभी की चुत में अन्दर-बाहर हो रहा था, वैसे वैसे मेरी उत्तेजना भी बढ़ रही थी।
इससे मैंने थोड़ा ज्यादा जोर लगा दिया और लंड आधे से ज्यादा अन्दर घुस चुका था और भाभी की हालत खराब होने लगी थी।
वो खुद को चुदाई की मस्ती को जाहिर करने को कन्ट्रोल कर रही थीं … क्योंकि वो जोरों से कामुक आवाज निकाल नहीं पा रही थीं।
सुगंधा भाभी- अहह याह आहह ओह्ह धीमे-धीमे चोदो। अपनी आवाज कुछ ज्यादा हो रही है।
लंड चुत की फट फट की आवाज हो रही थी।
मैं खुद को भी कन्ट्रोल कर रहा था और धीमे से भाभी की चुदाई करने की कोशिश कर रहा था।
इस समय मेरी उत्तेजना बहुत ज्यादा थी, जिस वजह से अब मैं रुक ही नहीं सकता था।
भाभी ना मुझे रोक पा रही थीं और न ही भाभी चाह रही थीं कि मैं उनकी चुत के अन्दर स्लो स्लो लंड पेलूं।
अब हम दोनों अपनी चरम पोजीशन पर आ गए थे। मैं कहीं भाभी की चुत में झड़ जाऊं, इसके लिए मैंने पास में ही रुमाल रखा हुआ था ताकि अपना माल उसमें गिरा सकूं। जो आगे कभी भी निकल सकता था।
एक मिनट बाद मैं पूरे जोश में अपना पूरा लंड धीमे से लंबे झटके मारते हुए घुसा रहा था और भाभी मजा लेते हुए अपनी कामुकता को कन्ट्रोल कर रही थीं।
भाभी की हॉट सेक्सी फिगर और उनकी मखमल जैसी चुत में लंड मस्ती से आगे पीछे हो रहा था। मुझे लग रहा था कि अब मैंने ज्यादा देर तक नहीं टिक पाऊंगा।
मैंने यह सोचा था कि जब झड़ने की बारी आएगी, तब जल्दी से लंड चुत से निकालकर रुमाल में सारा माल खाली कर दूंगा और फिर गंदे रुमाल को फेंक दूंगा।
लेकिन मैं न चाहते हुए भी खुद को रोक नहीं पाया और एक लंबी सांस लेते हुए भाभी की चुत में ही झड़ गया।
जिस वजह से भाभी का मूड एकदम से बदल गया।
वो नहीं चाहती थीं कि मैं चुत के अन्दर ही झड़ जाऊं।
इसी लिए वो मुझसे बिना प्रोटेक्शन के सेक्स के लिए मना कर रही थीं।
सुगंधा भाभी- ओह्ह शिट यार … ऐ क्या किया तुमने?
मैं- सॉरी भाभी।
इस समय भाभी को मेरे ऊपर गुस्सा आ रहा था … लेकिन वो चाहकर भी अपने गुस्से को बाहर नहीं ला सकती थीं।
अब जो होना था, वो तो हो ही गया था। अब कुछ नहीं हो सकता था।
इस समय मेरा लंड और भाभी की चुत, दोनों गीले थे।
मैंने भाभी को रुमाल दे दिया और बैग से दूसरा रुमाल निकालकर अपने लंड को साफ करने लगा। भाभी मुँह बनाते हुए अपनी चुत को साफ कर रही थीं।
इधर भाभी को देखकर मेरा मन कर रहा था कि अभी के अभी भाभी को पूरी नंगी कर दूं और फिर से उनकी चुदाई शुरू कर दूं। मगर भाभी दोबारा सेक्स लिए तैयार नहीं थीं।
फिर हम दोनों ने खुद को ठीक किया। मैंने अपनी पैंट पहन ली और भाभी ने पैंटी पहनकर साड़ी और पेटीकोट नीचे कर लिया।
जब पहली बार मैंने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, उसके बाद ऐसा मजा मुझे आज आया था।
हालांकि इस समय भाभी मुझसे थोड़ी नाराज़ थीं … लेकिन मुझे ऐसी भाभियों को मनाना आता है।
मैं भाभी की ओर देखने लगा वो मेरी ओर नाराज़गी से देख रही थीं।
तो मैं बोला- सॉरी भाभी, आप इतनी हॉट हो कि पता ही नहीं चला … मैं कब झड़ गया।
सुगंधा भाभी- अब जो होना था, वो तो हो ही गया। माफी मांगने की जरूरत नहीं है।
मैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ जब सेक्स करता हूँ तो नॉर्मली बीस मिनट के बाद झड़ पाता हूँ … लेकिन आज मैं जल्दी ही झड़ गया था।
मैंने एक स्माइल करके भाभी के सेक्सी कमर पर एक हाथ रख दिया।
सुगंधा भाभी- अब बहुत देर हो चुकी है … हमें सो जाना चाहिए।
मैं- जैसा आप चाहो।
फिर मैंने हमारे बर्थ वाले कम्पार्टमेंट की लाइट बंद कर दी और मैं भी भाभी के पास लेट गया।
इस समय भाभी को आराम करने की जरूरत थी और मैं उनको ज्यादा तंग करना नहीं चाहता था। मैं अपनी आंखें बंद करके हम दोनों के इस हसीन रात के चुदाई वाले सफ़र के बारे में सोच रहा था।
जब हम मुंबई से निकले थे, तब हम दोनों अंजान थे। उस समय वो किसी की बीवी थीं और मेरी भी एक हॉट गर्लफ्रेंड है। लेकिन भाभी को देखकर मेरा दिल डोलने लगा था।
फिर हम दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई, जिससे हमारी नजदीकी बढ़ने लगी। फिर से रोमांस शुरू हो गया और आखिर में हम दोनों के बीच फिर से सेक्स हुआ।
दुबारा चुदाई के बाद हम दोनों सो गए और सुबह जिस वक्त हम अहमदाबाद में एंटर हो चुके थे। उस वक्त छह बजे थे और तभी मेरी नींद खुल सकी थी। मैंने लाइट ऑन कर दी, जिससे भाभी भी उठ गईं
मैं- गुड मॉर्निंग।
सुगंधा भाभी- गुड मॉर्निंग।
मैं- भाभी आप अपना नंबर तो दो, मैं आपको गर्भ निरोधक टेबलेट्स पहुंचा दूंगा।
सुगंधा भाभी- कोई बात नहीं, मैं मंगवा लूंगी।
मैं- वैसे आप अहमदाबाद में कहां रहती हैं?
सुगंधा भाभी- देख, कल रात जो हुआ … वो हम दोनों की मर्जी से हुआ। पता नहीं मैं कल रात कैसे तैयार हो गई लेकिन में इस रिलेशन को आगे बढ़ाना नहीं चाहती हूँ। हम दोनों का दूर रहना ही सही है।
मैं- मैं समझ सकता हूँ मगर हम दोनों दोस्त तो बन सकते हैं न?
सुगंधा भाभी- हम दोस्त बनेंगे तो फिर बात आगे बढ़ेगी।
मैं- क्या मैं आपके घर का पता जान सकता हूं।
सुगंधा भाभी- सॉरी, नहीं बता सकती।
मैं- क्या हमारी दोबारा मुलाकात हो पाएगी … मुझे आपसे प्यार हो गया है।
सुगंधा भाभी- तुम्हारे पास एक गर्लफ्रेंड है और मैं भी शादीशुदा हूँ। इसलिए हम दोनों के बीच जो भी हुआ, उसको भुला दो। मैं इस रिलेशन को आगे नहीं रखना चाहती हूँ … प्लीज़ गलत मत समझना।
मैं- कोई बात नहीं, वैसे आप बहुत याद आओगी।
सुगंधा भाभी- कोई बात नहीं, कुछ समय बाद भूल ही जाओगे।
मैं- काश … ऐसा हो पाए।
भाभी कुछ नहीं बोलीं।
बस यह हम दोनों की आखिरी बातें थीं, कुछ ही समय बाद भाभी का स्टॉप आ गया था और वो मुझे अलविदा कहकर बस से उतर गईं।
मेरा स्टॉप आगे था, तो मैं बस में ही बैठा रहा।
बस में खूबसूरत भाभी के साथ यह हसीन चुदाई की रात मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा।
आगे मेरी किस्मत में यदि भाभी से मिलना लिखा होगा, तो दोबारा मुलाकात होगी।
मुझे आशा है कि आप सभी को मेरी कहानी जरूर पंसद आई होगी।
Friends mera naam Vikram hai. Main ek middle class family se hoon aur Faridabad mein rehta hun. Mere ghar mein main, mummy, papa hain bas. Papa ka apna kaam hai. Main kabhi kaam pe papa ke saath to kabhi masti yahi mera kaam hai. Meri mom house wife hain. Ye kahani meri maa ki hai. Meri maa ka naam Sapna hai, unki age 48 years aur figure 36 34 38 hai.. Ab main kahani pe aata hun aapko jyada na pakate hue.Ye khani meri maa or mere facebook friend ki hai. Meri maa ek normal house wife thi is kahani se pehle. Ye kahani 3 month pehle ki hai. Karib 6.. Months pehle main aapne ek facebook friend ko apne ghar leke aaya tha or use apni mom dad se milaya tha. Wo humare ghar se karib 5 km door hi tha to hum dono mein bahut achchhi dosti ho gayi or us ka mere ghar aana jaana ho gaya. Wo kabhi kabhi mere na hone par bhi aane laga. Kabhi meri maa use market mein milti to wo maa ki help bhi kar deta tha. Dheere dheere wo maa se bahut close ho gaya or maa ne bhi use apna mobile nu...
Comments
Post a Comment