दोस्तो, मैं आपकी गोरी एक बार फिर से आपके लिए अपनी स्टोरी के दूसरे भाग को लेकर आई हूं।
आपने मेरी पिछली कहानी को पढ़ा जिसमें मैंने आपको बताया था कि कैसे छोटी सी उम्र में मां ने गांव की एक मौसी के साथ मिलकर मेरी शादी मुकेश नामक एक अमीर घर के लड़के से करवा दी।
मुकेश से शादी में मेरे सारे अरमान कुचले गये क्योंकि वो बहुत बड़ा शराबी था और संपूर्ण मर्द भी नहीं था। मैंने सारे जतन किये लेकिन मेरे तन की प्यास बुझ न पाई। चूत की खुजली मिट न पाई।
फिर उसी के घर में लकड़ी का काम करने गुलाब नाम का एक मिस्त्री आया। उसके साथ मेरे दिल की तारें जुड़ गईं और फिर वो तारें हम दोनों को बिस्तर तक लेकर गईं।
उस दिन फिर सासू के बीमार पड़ते ही हमें पूरा मौका मिला और मैंने गुलाब के लंड से चूत चुदवाई और बहुत दिनों बाद लंड की रगड़ से अभिभूत होकर मेरी चूत ने पानी छोड़ा।
इससे पहले कई महीनों से में उंगलियों से ही पानी निकलवा रही थी।
गुलाब से चुदकर मैं गर्भवती हुई और मेरी सास मुझसे खुश रहने लगी।
मगर धीरे धीरे गुलाब ने मिलना बंद कर दिया। मेरी चूत में प्यास जागने लगी। मैं पेट से भी हो चुकी थी।
मैंने अपने पति के लंड को गर्म करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो मेरी चूत की प्यास बुझाने में नाकाम ही रहा।
मैं गुलाब को याद कर करके अपनी चूत को सहलाया करती थी।
जब मुझसे रहा न गया तो मैंने फैसला कर लिया कि मैं गुलाब से फिर चुदूंगी।
और मैंने उसके कमरे का पता करने की कोशिश की।
मेरी सास अब मुझसे खुश रहती थी और मेरे ऊपर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी।
मैंने फैसला किया कि मुकेश से नशे की अवस्था में गुलाब के कमरे का पता लूंगी क्योंकि सासू मां मुझे नहीं रोकती थी।
बाहर से बाज़ार का सामान भी मैं ही लेकर आती थी। अगर मैं चाहती तो किसी भी गबरू जवान लड़के को पटा कर मस्ती कर लेती।
बाहर कई लड़के मुझे देख कर आहें भरते थे। मगर मैं बाहर की बदनामी से डरती थी और मेरे दिल में गुलाब का ही लंड बस गया था।
फिर एक रात को जब मुकेश पूरे नशे में मुझसे लिपटने लगा तो मैंने अपनी अदाओं से उसको खूब रिझा लिया और उसके सीने पर हाथ फेरती हुई बोली- जान, ऊपर के पोर्शन का काम कितना बढ़िया हुआ है। कारीगरी बहुत अच्छी है।
मैंने हवा में तीर सा छोड़ दिया।
मुकेश बोला- हमारा खानदानी कारीगर है वो!
मैंने कहा- कौन? वो गुलाब? ओह हाँ!
मुकेश बोला- पहले उसके पिताजी करते थे काम, अब वो करता है। जब से गया है काम करके अभी तक आया नहीं। पता नहीं कहां बस गया है।
मैं बोली- हां, उसके बाद वो कभी नहीं आया।
इससे पहले मैं कुछ पूछती, मुकेश बोला- जाऊंगा उसके पास, बसंत ढाबे के सामने गली में रहता है।
मुकेश ने जैसे मेरा काम खुद ही कर दिया।
मैंने कहा- ओह मुकेश छोड़िये ना, हम भी किन बातों में लग गये।
मैं जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी।
लंड में काफी तनाव आ गया था। मैं जानती थी कि वो ज्यादा देर इस अवस्था में रुकेगा नहीं और कुछ ही पल के बाद वो कहने लगा- बस … बस रानी! मेरा छूट जायेगा।
वो मेरे ऊपर आया और चूत में लंड डालकर झूलने लगा।
हर बार की तरह दो मिनट में ही खाली होकर एक तरफ लेट गया।
मगर आज मुझे गुस्सा नहीं आया।
मैं खुश थी।
सुबह उठकर मैं सास से बोली- मां, अब तो मुझे गांव जाने दो?
इससे पहले वो बोलती ससुर जी मुझे देखते हुए बोले- हाँ गोरी, क्यों नहीं … तुम्हें काफी दिन हो गये हैं।
मैंने ससुर की ओर देखा तो वो मुझे बड़े ही गौर से देख रहे थे। आज पता नहीं क्या हो गया था उनको। मैंने उनकी नजर में ऐसा ठरकीपन कभी नहीं देखा था।
सास बोली- हां चली जा। मुकेश छोड़ आयेगा तुझे!
ससुर बोले- अरे उसको कहां टाइम है। दिन में काम और रात में दारू। उसको रहने ही दो। मैं ही छोड़कर आ जाऊंगा बहू को!
ससुर बोले- गोरी बेटा, कल मैं तुझे बस में बिठाकर आ जाऊंगा।
अगले दिन सुबह ही ससुर जी चलने के लिए पूछने लगे।
मुझे बस स्टैंड लेकर गए और बोले- गोरी, मैं छोड़ ही आता तुझे लेकिन काम था। लेने मैं ही आऊंगा।
मैंने कहा- जी ससुरजी!
वो बोले- अब चली जाओगी ना?
मैं- जी जी।
ससुर- हाँ, जाकर फोन कर देना।
मैं- जी जी, मैं पहुंचते ही फोन कर दूंगी।
वो चले गए तो मैंने कुछ देर देखा और फिर ऑटो वाले से पूछा कि शिमलापुरी जाना है।
वो बोला- सामने से ऑटो मिलेगा।
मैं झट से उधर गई और ऑटो पकड़ शिमलापुरी पहुंची।
दिल में उमंग थी गुलाब से मिलने की। बसंत ढाबा देखा और सीधी गली में चलती गई।
मुँह पर मैंने स्कार्फ बांध लिया था ताकि कोई पहचान न सके।
गली में घुसकर मैंने एक बजुर्ग से पूछा कि यहां कश्मीर के कारीगर रहते हैं, लकड़ी का काम है।
वो बोले- हाँ बेटी, वो सामने जो लाल गेट है उसी में रहते हैं।
मैं- जी शुक्रिया।
कहकर मैं तेज़ी से उधर गई। गेट को खटखटाया। एक गबरू जवान ने दरवाज़ा खोला। उसके बदन पर सिर्फ एक बनियान और अंडरवियर था।
वो बोला- जी, आप कौन?
मैं- जी, मुझे गुलाब से मिलना था।
उसने सिर से पांव तक मेरे जिस्म का मुआयना किया। उसके ऐसे देखने से मेरे बदन में सिरहन सी उठी।
तभी आवाज़ आई- कौन?
पीछे से दूसरा एक जवान भी सामने आया। उसने मुझे झट से पहचान लिया क्योंकि शुरू के दिनों में गुलाब के साथ वही लगा हुआ था।
वो बोला- मैडम आप यहाँ?
मैं- वो … वो … गुलाब से मिलना था मुझे।
जवान- आइए अंदर!
वो मुझे अंदर ले गये और बैठने को कहा।
फिर वो बोला- लगता है आपका गुलाब के बिना मन नहीं लगा!
मैं बोली- ये बेकार की बातें छोड़ो, ये बताओ कि वो है कहां?
वो बोले- उसके पिता का इंतकाल हो गया है। उसको गांव में रहना पड़ रहा है।
मैं- ओह्ह नहीं। अब वो वापस कब आएगा?
जवान- क्यों, क्या हुआ मैडम जी? और इतनी दूर अकेली कैसे आ गयीं?
मैं- नहीं, कुछ नहीं। उसने घर में काम किया था तो उससे लगाव हो गया था।
वो बोला- कारीगर से कैसा लगाव मैडम जी? आपकी बातें पहेली जैसी लग रही हैं।
वो मुझे टेढ़ी नजर से देख रहा था।
मैंने कहा- चलो मैं चलती हूँ। उसका नंबर भी नहीं लगता। कोई है क्या दूसरा नम्बर?
उसने बड़ी नशीली नज़र से देखा जिससे मेरा बदन सिहर उठा।
मैं बोली- ऐसे क्या देखते हो?
वो बोला- लगता है भाभी आप हमारे भाई की दीवानी हो गई हो। हम भी उसके ही भाई हैं। हमको सेवा का मौका नहीं दोगी? वादा करते हैं उससे ज्यादा ही मजा देंगे।
उस वक्त मैं पहले ही प्यासी तड़प रही थी।
मैं बोली- चलो मैं चलती हूँ।
कहकर मुड़ी तो उसने मेरी कलाई पकड़ ली।
वो बोला- जान … इतनी दूर आई हो, रुक जाओ ना। मजा ना आये तो मुझे सुरजन मत कहना।
तभी दूसरा भी करीब आया और बोला- और मुझे सुन्दर मत कहना।
वो कमीने मुझे दबोचने को तैयार खड़े थे। सुरजन ने झटके से मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया।
उसकी मजबूत बांहों में आकर मैंने पकड़ ढीली कर दी और उसने मेरे तपते होंठों पर होंठ टिका दिए।
सुन्दर ने पीछे से मेरी साड़ी के ऊपर से मेरे चूतड़ दबाए।
मेरे मुंह से मीठी सिसकारियां फूटने लगीं।
उसने ब्लाऊज के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिये।
मैं भी आपा खोने लगी और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसके सिर को अपने बूब्स पर दबाने लगी।
मेरी चीर (क्लीवेज) पर टिके मंगलसूत्र को साईड करते हुए सुरजन ने जीभ से चाटना शुरू किया और बोला- साली, जिसका मंगलसूत्र पहना है वो शराबी तो गांडू है, बहुत बड़ा लंड खाने वाला गांडू।
मैं बोली- क्या बोल रहे हो तुम ये?
वो बोला- हाँ भाभी, वो गांडू है। गुलाब ने बताया नहीं तुम्हें? शौकीन किस्म का है वो। उसके घर वाले भी जानते हैं।
मैं सोच में पड़ गयी- इतना बड़ा धोखा?
इतने में ही सुन्दर ने मेरी साड़ी खींची और मैं घूमती गई। उन्होंने साड़ी उतार फेंकी।
मेरा हुस्न देख उनके तंबू तन गए।
लौड़ों के तंबू देख मेरी चूत भी मचलने लगी।
धीरे धीरे मैं सिर्फ ब्लाऊज और चड्डी में रह गई। दोनों ने अपने कपड़े उतार फेंके। उनके बड़े बड़े लंड देख मैं पागल होने लगी।
सुन्दर ने मेरे ब्लाऊज के हुक भी खोल दिये। नीचे काली ब्रा में कैद मेरे बूब्स देख दोनों ने मुझे जकड़ लिया।
सुरजन ने मेरा हाथ अपने लंड पर टिका दिया। मैं उसको हिलाने लगी और दूसरे हाथ में मैंने सुन्दर का लंड पकड़ लिया।
देखते ही देखते मेरे बदन पर कोई कपड़ा नहीं था।
सुन्दर मेरे निप्पल चूसते हुए बोला- ओह्ह जान … कितनी कामुक रंडी हो तुम!!
मैं भी सिसकारी- उफ … कमीनो, मुझे मसल डालो। मेरी प्यास बुझा दो, धोखा हुआ है मेरे साथ और अब मैं भी रंडी बनकर तुम लोगों से चुदवाया करूँगी।
सुरजन ने बैठकर मेरे गोल मटोल गोरे चूतड़ों को मसल दिया और पीछे से अपने होंठों को मेरी गांड पर रगड़ा तो मैं मचल उठी।
मैं भी गांड हिलाने लगी तो उसने दोनों हाथों से गांड को फैलाया और मेरी चूत कुतिया की तरह पीछे उभर आई।
फिर सिसकारते हुए सुरजन बोला- उफ् … संतरे की फाड़ जैसी दिखती है तेरी मस्त चूत भाभी!
मैं- तो इस फाड़ी का रस चूस लो मेरे राजा! आह्ह … निचोड़ लो इसके रस को!
उसने मेरी चूत पर जीभ से कुरेदा तो मैं तड़प उठी- उफ … सुरजन … खा जाओ मेरी चूत को!
सुन्दर बराबर मेरे दूधों को मसल रहा था, दबा रहा था। उसने मसल मसलकर लाल कर डाले थे मेरे दूध!
मैंने दोनों के बीच में रंडी की तरह फंसी हुई थी।
सुरजन ने थप्पड़ मार मारकर मेरे चूतड़ लाल कर दिए।
तभी सुरजन ने मुझे बांहों में उठा लिया और बिस्तर पर पटक दिया और मेरे सिर के पास बैठकर उसने लंड को होंठों पर खूब रगड़ा।
मेरी पूरी सुर्ख लिपस्टिक होंठों पर बिखर गयी। उसके लंड का सुपारा भी लाल हो गया।
वो बोला- मेरी कुतिया … मेरी छिनाल … देख पूरी रंडी लग रही हो।
उस वक्त मेरे बाल बिखरे हुए थे। मांग का सिंदूर फैल गया था। सुन्दर टांगों के बीच लेटकर चूत चूस रहा था।
मैं कुतिया की तरह सुरजन का लंड चाटने लगी। थूक थूक कर गीला करती और उसकी लारें चाटती और उनको अपने गालों पर मसल देती।
उधर सुन्दर ने मेरी चूत को खूब चूसा।
फिर सुरजन उठा और बोला- सुन्दर इधर आकर इसके मुँह को चोद। मुझे भी कुतिया की चूत चाटने दे।
सुन्दर ने अपना मोटा लंड मेरे मुख में पेल दिया और मैं भी चूसने लगी।
सुरजन ने जुबान चूत में घुसा कर ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत चूसनी शुरू कर दी।
मैं भी तेज तेज़ सुन्दर का लंड चूसने लगी।
हम तीनों की आवाज़ों से पूरा कमरा गूंज रहा था। पच-पच … पुरच-पुरच की आवाज़ों से माहौल मस्ताना हुआ पड़ा था।
उसने ढे़र सारा थूक मेरी चूत पर डाला और लपक लपक चाटने लगा।
मैं सिसकारी- उफ … उफ … सुरजन आग लग गई। डाल दे … घुसा दे … बहुत प्यासी हूँ। फाड़ दे … घुसा … अब नहीं रहा जाता। जब से गुलाब गया है मेरी चूत बहुत प्यासी है, बहुत ज्यादा। उफ कुत्ते … मत तड़पा … पेल दे।
वो बोला- ले मेरी कुतिया … संभाल मेरा मोटा लंड।
मेरी टाँगें उठा दीं उसने उसने!
उसने झटका मारा और लंड का सुपारा फंसा दिया मेरी फुद्दी में।
मैं चीखी- आह्ह … ईई ऊईई … फट गयी … उफ मादरचोद … फाड़ दी।
बिना रुके उसने दो तीन झटके मारे और मेरी भोसड़ी खोल कर रख दी।
जिस दिन से गुलाब गया था इतनी गहराई में लंड नहीं घुसा था।
वो मुझे चोदने लगा और कुछ ही देर में मैं कूल्हे उठा उठाकर उसका साथ देने लगी।
वो जोश में आकर चूत का भोसड़ा बनाने लगा।
मस्ती इतनी चढ़ गई थी कि मैं पागलों की तरह गप गप लंड चूस रही थी; आँखें वासना के नशे में डूबी हुई थीं; रांड की तरह सब भूल बेफिक्र नंगी उनके नीचे पड़ी हुई सिसकारियां भर रही थी।
उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था।
मैं एकदम से उचक गयी क्योंकि सुरजन ने उंगली गांड में घुसा दी थी।
वो बोला- पलट मेरी कुतिया और बन जा घोड़ी!
मैं घोड़ी बनकर उनके सामने गांड हिलाने लगी।
वो सिसकारते हुए बोले- हए … रंडी … तेरी अदा पागल कर देगी।
मैं सामने से सुन्दर के आंड चूस रही थी कि सुरजन ने चूत तेज़ी से चोदनी शुरू कर दी।
मैं सिसकारने लगी- उफ … उफ … आह … गई … मैं गई … उफ तेज़ तेज … और तेज आह्ह … आह्ह और तेज।
इतने में ही अंदर से मेरा गर्म लावा फूटने लगा।
चूत को मैंने सिकोड़ लिया लेकिन सुरजन झटके पर झटका देता गया।
वो असली मर्द था। मेरे स्खलन से पिघला नहीं और ठोकता गया।
मस्ती में सिसकारते हुए मैं झड़ गई।
बहुत मजा आया।
फिर उसने मेरी गांड पर लंड को रगड़ा।
मैं समझ गई कि क्या इरादा था उसका! मैं ना-ना करने लगी।
मगर इतने में ही उसके लंड का धक्का लग चुका था।
मेरी गांड फट गयी और आंखों के आगे अंधेरा होने लगा।
उसका मोटा लंड मेरी गांड में प्रवेश कर चुका था।
मगर सुन्दर ने मेरे मुंह में हाथ डाल दिया था इसलिए मेरी चीख नहीं निकल पायी।
कुछ देर के बाद लंड एडजस्ट होने लगा। फिर मुझे मजा आने लगा।
मैं उसको उकसा उकसा कर चुदवाने लगी। वो भी पूरी स्पीड से चोदने लगा।
गांड थी भी टाइट जिससे पकड़ पूरी थी और तेज़ झटकों से सुरजन ने पिचकारियों से बारिश कर दी।
मेरी गुलाबी कोमल गांड में उसने अपना माल भर दिया।
सुन्दर बोला- चल कुतिया … अब मेरे लिये तैयार हो जा। मैं तेरी चूत को फाड़ दूंगा।
उसका मोटा लंड तैयार था।
सुरजन साईड पर लेट मस्ती में खोया हुआ था कि सुन्दर ने मेरी टाँगें उठा कर पहले चूत पर लंड रगड़ा और मुझे पूरी रोमांचित किया और प्यार से प्रवेश करते हुए तेज़ झटका दिया।
सुन्दर ने ज़बर्दस्त चुदाई शुरू कर दी।
मैं भी अब फिर दोबारा पूरे जोश में आ चुकी थी।
सुन्दर का स्टाइल अलग था। उसने चूत से गीला लंड निकाल कर मेरे मुँह में दिया और फिर से मुझे बोला- अब उपर बैठ मेरे और खुद चुद ले!
मैं टाँगें खोल उस पर बैठ गई और लंड चूत में घुस गया। मैं खुद उछल उछल कर चुदने लगी।
मेरे बूब्स उछल रहे थे। लंड चूत में तहलका मचा रहा था।
सुरजन अपना लंड पकड़कर सहला रहा था।
मस्ती और सेक्स से आंखें चढ़ रहीं थी मेरी। कामुक सीन था।
मैं फिर से सुन्दर के लंड की गर्माहट महसूस कर रही थी। चूत की दीवारों से घिस घिसकर लंड फिसल रहा था।
तभी मैं सिसकारी- उफ सुरजन … मुँह में दे दो अपना मोटा लंड!
उसने मेरे मुंह में लंड दे दिया और सिसकारते हुए चुसवाने लगा।
अब नीचे से सुन्दर चूतड़ उठा उठाकर पेलने लगा।
मैं थक गयी तो उसने मुझे पलट कर नीचे किया और ज़ोर ज़ोर से पेलने लगा।
सुन्दर ने तेज़ झटके दिये और हम एक साथ झड़ने लगे।
मेरी चूत दूसरी बार झड़ी और मज़ा आ गया।
सुरजन ने लंड मुंह से नहीं निकाला।
सुन्दर साईड में लेट गया।
फिर हम तीनों नंगे लेट गए।
सुरजन के लंड से खेलती हुई मैं बातें करने लगी।
उसने बताया कि मुकेश बहुत बड़ा गांडू था। उनके लिंक में किसी मर्द से चुद चुका था। उसी बंदे ने हमको बताया था।
मैं काफी अचंभित थी मुकेश वाली बात से।
सुरजन बोला- एक राउंड और लगा ले। फिर हम तुझे बस में बिठा देंगे।
फिर हम तैयार हुए। एक दूसरे से लिपटने लगे और मैं फिर से लौड़ों के साथ खेलने लगी।
इस बार सुरजन बोला- कुतिया, अब तू मेरे लंड पर देसी गांड टिका दे। मेरी तरफ मुँह कर ले और बैठ जा।
मैं कभी ऐसे नहीं चुदी थी। मैं उसके ऊपर बैठ गयी। मेरी चूत का मुंह ऊपर आ गया। सुन्दर ने कुछ देर लंड चुसवाया और फिर मेरी चूत में पेल दिया।
सुरजन ने मेरी देसी गांड में डाला और चोदने लगा। मैं दोनों के बीच में सैंडविच बन गयी।
उन्होंने मेरा मुंह, चूत, गांड सब कुछ चोद डाला; मेरा गोरा बदन, बूब्स और चूतड़ सब मसल डाले।
मेरी गंदी भाषा से उत्तेजित हो वे दोनों जोश में चोद रहे थे।
करते करते आखिर मैं और सुन्दर तक़रीबन एक साथ झड़ गए। एक बार फिर से गाढ़ा माल मेरी चूत में भर गया।
फिर कुछ देर बाद मुझे घोड़ी बनाकर तेज़ तेज मेरी देसी गांड मारते हुए सुरजन भी झड़ गया।
फिर मैं बड़ी मुश्किल से उठी। कुत्तों ने नोंच लिया था मुझे!
जैसे ही मैं खड़ी हुई मेरी जांघों पर चूत से निकला पानी टपकने लगा। मैंने उठकर साफ सफाई की। शीशे में देखा तो देसी गांड और चूत दोनों लाल हुई पड़ी थी।
उसके बाद मैं कपड़े पहनकर तैयार हुई।
सुरजन बोला- भाभी बहुत मजा दिया। आती रहना कमरे पर।
मैंने उनके नंबर भी लिए और सुरजन मुझे बस स्टैंड तक छोड़ने आया।
बस में बैठी हुई मैं उन्हीं लम्हों को याद कर रही थी।
ससुराल वालों का धोखा भी याद करने लगी। फिर सोचा भाड़ में जाए सब लोग! इतनी प्रॉपर्टी है, लंड तो मैं ले ही लूँगी।
मैं गांव पहुंच गई तो सब बहुत खुश हुए।
बहुत दिनों बाद चूत की प्यास बुझवाकर आयी थी इसलिए मैं भी बहुत खुश थी।
Friends mera naam Vikram hai. Main ek middle class family se hoon aur Faridabad mein rehta hun. Mere ghar mein main, mummy, papa hain bas. Papa ka apna kaam hai. Main kabhi kaam pe papa ke saath to kabhi masti yahi mera kaam hai. Meri mom house wife hain. Ye kahani meri maa ki hai. Meri maa ka naam Sapna hai, unki age 48 years aur figure 36 34 38 hai.. Ab main kahani pe aata hun aapko jyada na pakate hue.Ye khani meri maa or mere facebook friend ki hai. Meri maa ek normal house wife thi is kahani se pehle. Ye kahani 3 month pehle ki hai. Karib 6.. Months pehle main aapne ek facebook friend ko apne ghar leke aaya tha or use apni mom dad se milaya tha. Wo humare ghar se karib 5 km door hi tha to hum dono mein bahut achchhi dosti ho gayi or us ka mere ghar aana jaana ho gaya. Wo kabhi kabhi mere na hone par bhi aane laga. Kabhi meri maa use market mein milti to wo maa ki help bhi kar deta tha. Dheere dheere wo maa se bahut close ho gaya or maa ne bhi use apna mobile nu...
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