हैलो साथियो, मैं मानस पाटिल आपको अपने कहानी में स्वागत करता हूँ।
अब आगे :
मानस का लौड़ा पकड़ कर सोनम खड़ी हुई और लौड़ा खींचते हुए उसने मानस को वॉशबेसिन के पास लाकर खड़ा कर दिया।
फिर खुद अपनी बड़ी गांड उस वाशबेसिन पर रखकर अपनी टांगें फैलाते हुए बोली- आ जा मेरे सांड … आज कल्याण कर दे मेरे इस जवानी का … चोद-चोद के निहाल कर दे मुझे अपने इस फौलादी लंड से।
मैडम का आर्डर मिलते ही मानस ने अपनी पैंट, जो उसके पैरों में अटकी थी उसे और अपना अंडरवियर को उतार कर बाजू में रख दिया।
तभी उस गर्माई हुई अमीर रंडी ने उसका अंडरवियर लिया और उसे सूंघने लगी।
सोनम की चुत देख कर मानस का लौड़ा फ़नफ़ना कर आग उगलने लगा। उसने सोनम की दोनों टांगें अपने कंधे पर रख कर लंड का सुपारा उस रंडी सोनम की गीली चुत पर रख दिया।
उस अंडरवियर को सूंघने में सोनम इतनी व्यस्त थी कि उसको मानस का गर्म लौड़ा अपनी चुत पर महसूस नहीं हुआ।
सोनम वाकयी में एक सुन्दर अप्सरा जैसे दिख रही थी। उसका गोरा बदन, बड़े और भरे हुए चूचे, गदराया हुआ जिस्म … और गीली टपकती चुत देख कर मानस ने पहले तो प्यार से उसे देखा और अगले ही पल एक दमदार शॉट मार दिया।
उस एक ही झटके ने अपना काम पूरा कर दिया। मानस का वो लम्बा काला लौड़ा अब सोनम की बच्चेदानी चूम रहा था और उसके टट्टे उसको गारी गांड चूम रहे थे।
जिंदगी में आज पहली बार किसी ने सोनम की संगमरमर सी चुत की ये हालत की थी। खून की एक धार उसकी चुत से होती हुई उसके गांड के छेद को गीला करने लगी थी।
एक भयानक चीख निकालकर सोनम पीछे लगे शीशे से जा टकराई।
सोनम के पैर पहले से ही मानस के कंधे पर थे, जो आसानी से छूटने नहीं दे रहे थे।
उसकी अगली चीख दबाने के लिए मानस ने अपनी अंडरवियर उसके मुँह में घुसा दी।
शीशे पर अपनी पीठ टिकाए सोनम अपने दोनों हाथों से खुद को संभालने की भरसक कोशिश कर ही रही थी।
मगर उसी समय मानस ने उस बेबस औरत की पूरे हवसी तरीके से चुदाई शुरू कर दी।
मानस अपना पूरा लंड उसके चुत के द्वार तक बाहर निकालता और फिर उसी तेजी से उसे अन्दर धकेल रहा था ताकि सोनम की चुत अपने आप खुल जाए और मानस का लंड बिना किसी अड़चन हुए अपना काम करता रहे।
एक के बाद एक लगते हुए उन धक्कों ने अपना काम पूरा कर दिया।
सोनम अब किसी बेबस कुतिया की तरह उस लौड़े से चुद रही थी।
मानस के टट्टे उसकी गांड को छूकर वापिस जा रहे थे।
सोनम की 36 इंच की बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर-नीचे, आगे-पीछे हिल रही थीं। सोनम का चेहरा और चुत दोनों उस भयंकर चुदाई से लाल हो चुके थे।
पर मानस अपने काम में पूरा फोकस करके उसकी जंगली किस्म की चुदाई कर रहा था। उसका एक हाथ सोनम के मुँह पर था तो दूसरा हाथ उसके सर के पीछे रखा था।
सोनम की आंखों से इस गांड फाड़ चुदाई से आंसू निकल रहे थे, उसको सांस लेना मुश्किल हो रहा था।
पर उसकी दुर्दशा पर जरा सा तरस खाये बिना, मानस और जोर जोर उसकी भोसड़ी को अपने लौड़े से कूट रहा था।
‘ले मेरी रंडी … चुदवा ले अपनी इस मादरचोद भोसड़े को मेरे लौड़े से … साली छिनाल … देख कैसे ख़ुशी ख़ुशी तेरी चुत मेरे लौड़े का स्वागत कर रही है, बहनचोद पुलिस बुलाएगी क्या … जा बुला अब पुलिस को बहन की लौड़ी।’
ये कहकर उसने सोनम के बाल खींचे और चुदाई की रफ़्तार और तेज कर दी।
भले ही सोनम के मुँह में अंडरवियर दबी थी, पर फिर भी उसके मुँह से दबी दबी सिसकारियां बाहर निकल रही थीं।
उसकी आंखों से निकलता पानी अब रुक चुका था और खुद वो अपनी गांड हिलाना चालू कर चुकी थी।
मानस को इसी बात का इंतजार था कि कब ये रंडी अपनी औकात पर आ जाए और फिर इसकी धुंआधार चुदाई का मजा मिल सके।
जैसे ही सोनम ने अपनी गांड उठा कर मानस को लौड़ा अन्दर लिया, तो मानस ने अपना हाथ उसके मुँह से हटा दिया और चुदाई रोक दी।
‘क्यों मैडम, कैसा लगा मेरा लौड़ा … चुद गयी न तेरे चुत की मां … बोल अब और चुदेगी या ऐसे ही पैर फैला कर घर जाएगी?’
ये बोलकर मानस ने फिर से एक धक्का उसकी चुत में मार दिया।
सोनम ने अपने मुँह से उसकी अंडरवियर को निकला और एक जोर का थप्पड़ मानस के गाल पर रसीद कर दिया।
सोनम बोली- तेरी मां का भोसड़ा साले … इस तरह से कौन चोदता है भोसड़ी के … तूने तो सच में मां चोद दी मेरी चुत की हरामी … अब देख क्या रहा है कुत्ते, चोद मुझे … और जोर से चोद … दिखा हिजड़े कितना दम है तेरे इस छोटी सी लुल्ली में?
छोटी लुल्ली बोलकर सोनम ने मानस के अहंकार को चोट मारी थी।
आज तक उसने जितनी भी लड़कियां पेली थीं, उनमें से आधी तो पहले झटके से बेहोश हो गयी थीं और उसके बाद फिर से कभी उन्होंने उसके नीचे आने की हिम्मत नहीं दिखाई थी।
पर आज ये सोनम उसको हिजड़ा बोल रही थी।
कुछ देर तो वो ऐसे ही सोनम को देखता रहा, पर जब सोनम ने आंखें खोलकर उसे देखा और पूछा- अब क्या आरती उतारूं तेरी भड़वे? चल फाड़ दे मेरी चुत, आज मैं भी तो देखूँ … कितना बड़ा मर्द है तू … या मर्द के नाम पर कलंक है?
सोनम की उस चेतावनी से मानस का ध्यान टूटा और उसने फिर से अपना लौड़ा सोनम की फैली हुई चुत में रगड़ना चालू कर दिया।
एक हाथ से उसके चूचे मसल कर वो बिना कुछ बोले अपने लौड़े की प्यास मिटाने की कोशिश कर रहा था।
सोनम भी अब पूरे जोश में नीचे से अपनी गांड उठाते हुए उसके लौड़े का स्वागत अपनी चुत में कर रही थी।
मानस के लम्बे लम्बे धक्कों से सोनम पहले से ही गीली हो चुकी थी। बरसों से प्यासी उसकी निगोड़ी जवानी का पाला आज असली सांड से हुआ था।
इसी के चलते सोनम की चुत ने जवाब दे दिया।
बस दस मिनट की चुसाई और पन्द्रह मिनट के चुदाई में सोनम ने अपने हाथ टेक दिए।
पर इसका मतलब ये नहीं था कि उसकी आग ठंडी हो चुकी थी। वो झड़ने के बाद भी किसी बाजारू रंडी की तरह गांड उठा उठा कर चुद रही थी।
मानस को जैसे ही पता चला कि सोनम की चुत का पानी उसके लौड़े को नहला चुका है, उसने तुरंत अपना लंड सोनम की गीली चुत से निकाला और अपनी अंडरवियर से पौंछ कर सोनम को कुतिया की तरह झुकने को बोला।
खुद नीचे बैठ के उसने सोनम की गोरी गांड को फैलाकर उसकी गांड के भूरे रंग के छेद को हवस भरी नजरों से देखा।
सोनम की मखमली गांड को दबाए उसके चूतड़ कम से काम चालीस इंच के रहे होंगे।
ऊपर से उस रईस औरत की गांड गोरी चिट्टी थी तो मानस को भी उसकी गांड चाटने का मोह हो गया।
उसने झट से अपनी जीभ सोनम की गांड के छेद पर रगड़नी चालू कर दी।
सोनम इस अचानक हुए हमले से चिल्ला पड़ी, पर जैसे ही मानस की जीभ उसकी गांड के छेद को चाटने लगी, तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उसने अपना एक हाथ पीछे लेते हुए मानस के बाल खींचे और उसका मुँह और अन्दर अपनी गांड में दबाने लगी।
‘अह्हह अह्ह उह्ह्हम्म मानस, ऐसे ही कर कुत्ते … आह खा जा मेरी गांड … उई मांआआ चाट कुत्ते, चाट मेरी गोरी गांड।’
ऐसे ही अपनी ख़ुशी का इजहार करते हुए सोनम बड़े दिनों बाद अपनी गांड की सेवा उस चपरासी मानस से करवा रही थी।
पर उसको ये भनक नहीं थी कि कुछ ही पलों में ये चपरासी उसकी अमीरजादी गोरी गांड के चिथड़े उड़ाने वाला है; कुछ ही पलों में उसका ये काला मोटा लंड उसको दिन में तारे दिखने वाला है।
मानस भी बिना कुछ बोले सोनम की गांड को जितना हो सकता था, उतना फैलाकर अपनी जीभ से कुरेद रहा था।
उसका एक हाथ अब सोनम की चुदी-चुदाई चुत में दो उंगलियां घुसाकर उसे भी जिन्दा रखे था।
बड़ी देर तक सोनम की गांड उस चपरासी की जीभ की मालिश का लुत्फ़ उठा रही थी और अपने चुदे पिटे भोसड़े में घुसी उंगलियां सोनम को अब भी रंडी बने रहने की सलाह दे रही थीं।
सोनम उस वाशबेसिन पर झुक कर आंखें बंद करके उस गांड चटाई का आनन्द ले रही थी।
तभी मानस ने अपना एक हाथ उसकी गांड पर जोर से मारा कि उसकी उंगलियों के निशान सोनम के चूतड़ पर दिखने लगे।
सोनम की चीख से फिर से टॉयलेट गूँज उठा।
और तभी मानस का दूसरा हाथ सोनम की गांड के दूसरे हिस्से पर जा टकराया।
गांड पर लगे थप्पड़ इतने जबरदस्त थे कि सोनम की गांड तो लाल हो ही गयी थीं।
पर खड़े खड़े सोनम की चुत से मूत भी निकल गया था।
वो लड़खड़ाते हुए वो जमीन पर बैठने लगी; तभी मानस ने उसके बाल खींच कर उसे खड़ा किया और उसका मुँह वाशबेसिन के अन्दर दबा दिया।
एक हाथ से उसके बाल खींच कर दूसरे हाथ से उसने अपना लौड़ा सोनम की गोरी गांड के छेद पर रख दिया।
सोनम अब भी तड़प रही थी और इसी जद्दोजहद में उसके दिल के सांसें मानो रुक सी गयी थीं, आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वो किसी बेजान मुर्गी की तरह वाशबेसिन में गिर पड़ी थी।
उस बेरहम चपरासी ने अपनी हवस मिटाने के चक्कर में अपना पूरा लौड़ा एक ही झटके में सोनम की चुदी हुई गांड में जड़ तक पेल दिया था।
उसके लंड के गोटे सोनम की गीली टपकती चुत की चुम्मी ले रहे थे।
सोनम को बेहोश देख उसने और एक दो बार अपना चप्पू चलाया और अपने लौड़े के लिए सोनम की गांड में रास्ता तैयार करने लगा।
बेजान होकर गिरी सोनम के मुँह से अब बस ‘हम्म्म अह्ह्ह अह्ह्ह ।।’ जैसी दबी दबी सिसकारियां निकल रही थीं।
मानस ने अपने हाथों से बालों की छोड़ दिया और सोनम की बड़ी गांड को कवर किये उसके गोरे चूतड़ों को फैला दिया।
उस गांड ने मानस के लौड़े को जकड़ रखा था।
उस भूरे रंग के छेद में अपना लौड़ा आते-जाते देख मानस मन ही मन में खुश हो रहा था।
दस मिनट के उस धक्का पेली में मानस उसकी चुत में नीचे से अपनी उंगलियां घुसा कर कुरेद रहा था।
अब तक सोनम की गांड ने भी उस लौड़े को अपना बना लिया था।
सोनम को अपनी गांड और चुत में हो रही रगड़न से अब मजा आने लगा था।
कुछ देर पहले वो कराह रही थी, पर अब उसकी मादक सिसकारियां निकलना चालू हो चुकी थीं।
मानस के लंड से मिल रही अनोखी गुदगुदी ने उसको फिर से रंडी बनाने पर मजबूर कर दिया था और अब खुद अपनी गांड पीछे लाते हुए अपने चूतड़ों को लौड़े पर पटकना चालू कर दिया था।
उसको फिर से चुदासी होते देख मानस बोला- क्यों मादरचोदी, कैसा लग रहा है बहन की लौड़ी … बड़ी अकड़ रही थी न साली रांड … अब देख कैसे एक चपरासी के सामने झुकी हुई अपनी गांड मरवा रही है कुतिया। लुल्ली कह रही थी कमीनी … अब समझ आया कि मूसल खा रही है।
सोनम ने खुद को थोड़ा ऊपर उठाया तो सामने वाशबेसिन के दीवार पर लगे आईने में उसको खुद की छवि दिखाई दी।
सच में वो किसी बाजारू रंडी की तरह दिख रही थी। बिखरे हुए बाल, होंठों से निकलता खून, उसका उजड़ा हुआ चेहरा और लाल हुई आंखें देख कर अब तो कोई भी बता सकता था कि सोनम किसी असली मर्द से बेरहमी से चुदी है … और उसकी चुत और गांड अब अगले पन्द्रह दिन तक किसी का भी लौड़ा लेने से इंकार करने वाली है।
उसको खड़ा होता देख मानस ने उसके पीठ पर हाथ रखते हुए उसे वापिस नीचे दबा दिया। उसके दोनों हाथ मरोड़ कर उसने पीछे कर लिए और अपने एक हाथ से उन दोनों को जकड़ लिया।
वाशबेसिन पर लगे नल को चालू करके उसने उस वाशबेसिन को उसमें लगे हुए ढक्कन से बंद कर दिया ताकि पानी उस वाशबेसिन में जमा हो सके।
जैसे ही पानी उस वाशबेसिन में भरने लगा, उसने सोनम का चेहरा उस पानी में दबा दिया।
सोनम इससे तड़प उठी।
एक तो वो चपरासी उसकी गांड की एक एक नसें फाड़ रहा था और अब तो उसको सांस लेना भी उसने मुश्किल कर दिया था।
पानी पूरा भरने के बाद मानस ने नल बंद किया और उसका चेहरा बाहर निकाल के फिर से पूछा- मेरी रंडी मैडम, बुलाऊं पुलिस को … दिखाऊं तेरे पति को तेरे कारनामे … साली रंडी आज के बाद तू खुद आएगी मेरे लौड़े के नीचे … आज तो तेरी ऐसी चुदाई करूंगा कि दस दिन तक तू ठीक से चल भी नहीं सकेगी।
सोनम को ढेर सारी पीड़ादायी और यातना से भरी चुदाई देकर अब शायद उसका मन भर गया था।
अब वो भी शायद सोनम की चुत से निकलते हुए पानी को जी भर के देखना चाहता था।
उसको खुला छोड़कर अब मानस ने अपनी उंगलियां फिर से सोनम की फुद्दी में पेल दीं और उसको जोर जोर से रगड़ने लगा।
सोनम के फुद्दी का फूला हुआ मटरदाना भी उस रगड़न से और फूल गया और सोनम फिर से चुदाई के आनन्द में सिसकने लगी।
‘आअह अह्ह्ह्ह ह्म्म्म धीरे करर्रर भोसड़ी के … आह्ह्ह्ह फाड़ ही देगा क्या मेरी चुत साले मादरचोद … और जोर से मार मेरी गांड कुत्ते … आह फाड़ दे मेरी गांड, रंडी बना दे मुझे अपनी साले हिजड़े।’
सोनम को फिर से अपनी औकात में आते देख कर मानस ने पूरी ताकत से उसकी गांड चोदनी चालू कर दी।
मानस ने अपनी उंगलियों के जादू से सोनम की चुत का पानी उबालना चालू कर दिया।
वाशबेसिन के संगमरमरी पत्थर पर उसके चूचे और निप्पल रगड़ रगड़ कर फिर से फूल गए थे।
सोनम जोर जोर से गालियां देने लगी- साले मादरचोद, मां का भोसड़ा तेरी कुत्ते … चोद मुझे और जोर से चोद नामर्द, आज रंडी की तरह पेल मुझे, मेरी गांड की खाल उधेड़ दे बहन के लौड़े।
उस सुनसान ऑफिस के टॉयलेट में रंडी भाभी और चपरासी दोनों की चुदाई की दास्तान लिखी जा रही थी।
सोनम अब किसी भी पल अपनी चुत को इस युद्ध में हरवाना चाह रही थी ताकि इतने दिनों से उभरी हुई उसकी जवानी किसी के काम आ सके।
मानस तो सोनम को काफी देर से पेल रहा था। सोनम के शरीर का हर एक हिस्सा उसने ऐसे रगड़ा था, जैसे कोई वो एक खिलौना है, जिसे चुदाई के लिए बनाया गया है।
मानस के गोटियों में भी अब हलचल होने लगी थी। उसके आंड अब फूलने लगे था। उनमें भरा गाढ़ा सफ़ेद रस उबलकर लावा बनकर सोनम पर बरसने तैयार हो रहा था।
पर इतने में ही सोनम ने अपनी हार स्वीकार कर ली।
किसी पानी से बाहर आकर तड़पती हुई मछली की तरह वो तड़पने लगी।
रंडी भाभी की चुत से निकला फव्वारा, मानस के हाथ-पैर और नीचे का फर्श गीला करने लगे।
चुतरस के साथ साथ सोनम का पेशाब भी बाहर आने लगी।
पर मानस का लौड़ा अब भी उसकी गांड चोदे जा रहा था। उसके हाथ अब सोनम की कमर पर आ चुके थे और वो किसी जंगली सांड की तरह आंखें बंद करके सोनम को चोद रहा था।
बस फिर वो आखिरी पल भी आ गया जब मानस के लौड़े ने जवाब दे दिया।
जैसे ही उसको इस बात की भनक लगी, उसने अपना लौड़ा सोनम की गांड से निकाला और झट से उसकी झड़ी हुई चुत में पेल दिया।
उस हमले से सोनम फिर से कराह उठी, पर उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी।
अपनी हार क़ुबूल करते हुए उसने अपना बदन उस चपरासी मानस के हवाले कर दिया और वो बेजान उस वाशबेसिन पर पड़ी रही।
सोनम की गीली और गर्मागर्म चुत में मानस से तेज धक्के लगाए और गुर्राते हुए अपना साला कामरस उस अमीर घर की रंडी सोनम की चुत में भर दिया।
कुछ देर तक तो वो ऐसे ही सोनम की पीठ पर पड़ा रहा, पर जैसे ही उसकी सांसें काबू में आईं, उसने अपना लौड़ा सोनम की चुत से बाहर निकाला और उसके साथ साथ सोनम की फुद्दी में भरा हुआ उस चपरासी का माल भी सोनम की जांघों पर और जमीन पर गिरने लगा।
सोनम भी अब होश में आ चुकी थी, रंडी भाभी की गांड इतनी खुल चुकी थी कि उसको अन्दर तक हवा महसूस होने लगी थी।
अपनी फटी हुई गांड और चुत को संभालते हुए वो खड़ी होने लगी।
पर तभी मानस ने उसके बाल पकड़ कर उसको जमीन पर बिठाया और अपना लौड़ा फिर से उसके मुँह में दे दिया।
सोनम को भी अपना काम बखूबी समझ में आ गया, उसने तुरत मानस का लौड़ा मुँह में भर लिया और उसपर लगे माल को चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
मानस की आंखों में आंखें डाल कर सोनम अब उसका लौड़ा साफ़ कर रही थी और मानस उसको देख मुस्कुरा रहा था।
लौड़ा साफ़ होते ही मानस ने उसे सहारा देकर उठाया और गले लगा लिया।
सोनम भी अपने यार की बांहों में सिमट कर उसको किस करने लगी और उसके कान में कहा- तुझ से जल्द ही फिर से मिलूंगी।
Shahar wale uncle ko maa ki chut mil hi gayi Hello friends, main Rahul hoon, meri maa Seema ki agli story ke saath. Pichhle bhaag " Maa ko mila jawan lund se bharpoor maza " mein aapne padha ki kaise farm house mein kaam karne wale Raghu ne pehle meri maa ki jhat saaf ki, fir viagra khakar unki aisi chudai ki jaisi unke saath pehle kabhi nahin hui. Par meri maa ne bhi chudai ka bharpoor maja liya mano apne pati se chudai ki ho. Ab aage: Main aur meri maa jaise taise uncle ke ghar pahunch gaye. Ye wohi uncle hain jinhone mujhe aur meri maa ko shahar mein raat gujarne ke liye apna ghar diya tha par badle mein meri maa ko choda tha aur apne doston se chudwaya tha. Itna hi nahin inhone meri maa ki chudai ki video bhi banayi thi aur mujhe blackmail karke meri maa ko shahar laane par majboor kiya tha. Uncle apne ek room ke ghar mein khaana bana rahe the. Maine darwaja khat khataya to unhone mudkar dekha aur hume dekhkar khush ho gaye. Wo jhat se aaye aur meri maa ko gale laga
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