हैलो फ्रेंड्स, मैं यतीन्द्र एक बार फिर आपको सलोनी भाभी की चुदाई की कहानी के तीसरे भाग को लेकर हाजिर हूँ।
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मैंने भाभी को नंगी कर दिया था और उनकी मालिश का मजा ले रहा था।
अब आगे :
मैंने अपने तेल से सने हाथों को अपने पेट पर रगड़ दिया और भाभी के पेट के दोनों तरफ अपने घुटने रख कर बैठ गया। फिर मैं झुक कर सलोनी भाभी के एक चूचे को चूसने लगा और दूसरे के निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच में हल्के से दबाते हुए पूरे हाथ से दबाने लगा।
इससे सलोनी भाभी बहुत गर्म हो गईं और पागलों की तरह मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाने लगीं।
मैंने 10 मिनट तक सलोनी भाभी के चुचे चूस चूस कर लाल कर दिया। भाभी के चूचों का लिसलिसा सा रस पीते हुए मैंने उनके भूरे रंग को निप्पल को गुलाबी कर दिया।
सलोनी भाभी ‘आह … आह … और इस्स ।।’ की आवाजें निकालते हुए पागल होने लगीं और बोलीं- यार, तू इस खेल में पूरा जादूगर है।
मैं सलोनी के पेट पर चुंबन करते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा और चुत के पास अपने होंठों से फूंक मार कर सलोनी भाभी को तड़पाने लगा। फिर मैं नीचे हुआ और उनके पांव के अंगूठे को मुँह में डाल कर चूसने लगा।
अब सलोनी भाभी के पूरे शरीर में हरकत होना शुरू हो गई। मैं ऊपर को बढ़ा और उनकी टांगों को चूमता हुआ उनकी चुत के नीचे जांघों के मक्खन जैसे अंग को चूमने चाटने लगा।
इससे भाभी को एक सिहरन सी होने लगी और वो पगला गईं। भाभी अपनी टांगों के घुटनों को उठाने लगीं, तो मैंने अपने मज़बूत हाथों से उनके दोनों पैरों को पकड़ कर अपने पैरों के नीचे दबा लिया।
भाभी की चुत के नीचे जांघों पर चूसने लगा। सलोनी भाभी की चुत को नाक से एक इंच की दूरी से सूंघने लगा। थोड़ा सा पानी चुत से रिस कर बाहर आ रहा था, जिससे बड़ी मादक खुशबू आ रही थी।
सलोनी भाभी के हाथ मेरे सिर के बालों में आ गए थे और उन्होंने खुद मेरा मुँह अपनी चुत की तरफ दबा दिया।
मैं इसी बात की फिराक में था। बस उनका मेरे सर को अपनी चुत पर दबाना हुआ और एक भूखे कुत्ते की तरह सलोनी भाभी की गोरी चिट्टी गुलाबी चुत पर लपक पड़ा।
मैं अपनी जीभ को नुकीला करके उसका अगला हिस्सा सलोनी भाभी की चुत में डालता … और जीभ को सलोनी भाभी के पेट की तरफ दबाता हुआ ऊपर की तरफ बाहर खींच देता।
इससे सलोनी भाभी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगतीं- उह ऑश ऑश …
तभी मैंने एकदम से मेरी जितनी जीभ उनकी चुत में अन्दर जा सकती थी, उतनी अन्दर डाल दी और दाएं बाएं ऊपर नीचे करते हुए बड़ी तेज़ी से घुमाने लगा।
इस समय मेरे मुँह से वैसी ही आवाजें आ रही थीं, जैसी एक कुत्ता के मुँह से कोई तरल खाते या चाटते टाइम स्लक स्लक की आवाज़ आती है।
सलोनी भाभी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। वो ‘अयाया … ऑश …’ करते हुए अपनी चुत से पानी छोड़ने लगीं।
भाभी ने अपनी चुत मुझसे कोई दस मिनट तक चुसवाई और फिर पीछे खिसकने लगीं। भाभी ने अपने हाथों से मेरे मुँह को दूर कर दिया।
मैंने सलोनी भाभी को उठने के लिए बोला, तो वो उठ खड़ी हुईं। मैंने नीचे पड़ी चादर से सलोनी की पीठ और हाथों से तेल पौंछ कर उसी चादर को सलोनी भाभी के बेड पर बिछा दिया।
यहां मैं आप लोगों को बताना चाहूँगा कि सलोनी भाभी का बेड काफ़ी ऊंचा था … क्योंकि उसके चारों कोनों पर दो ईंटों जितना ऊंचा चौकोर पत्थर लगा हुआ था। भाभी के बेड की ऊंचाई इतनी थी कि उनको कोने पर लाकर बिल्कुल सीधी खड़ी अवस्था में लेकर उनकी चुत में लंड डाल सकता था।
मैंने सलोनी भाभी को सीधा कुछ इस तरह से लिटाया कि उनके चूतड़ बेड के बिल्कुल किनारे पर आ गए। फिर मैंने अपना शॉर्ट्स और कच्छे को एक साथ निकाल कर फेंक दिया।
अब मैंने सलोनी भाभी के पैर ऊपर हवा में उठाए और उनकी चुत की फांकों में अपने लंड का सुपारा घिसा। भाभी की चुत किलकिला उठी। उसे लंड का स्वाद मस्त लगने लगा था।
मैंने अपने लंड को चुत की फांकों में ऊपर की तरफ दबाते हुए घिसा और बाहर निकाल लिया। इससे भाभी की हालत ऐसी हो गई कि जैसे किसी बच्चे से उसकी पसंद का खिलौना देकर छीन लिया गया हो।
मैंने फिर से लंड का सुपारा चुत की फांकों में रगड़ा और कुछ अन्दर डालकर बाहर निकाल लिया। चुत तो एकदम से रोने लगी थी। उसके मुँह से रसगुल्ला डाल कर निकाल जो लिया गया था। मैंने 8-10 बार ऐसा किया, तो सलोनी भाभी तड़प उठीं।
उन्होंने आंख के इशारे से गुस्सा जाहिर किया। तो मैंने इस बार लंड का पूरा टोपा अन्दर डाल कर लंड को हाथ से पकड़ा और चुत के अन्दर गोल गोल घुमाने लगा।
सलोनी भाभी मस्ती से चिल्ला दीं- आह … उफ्फ … प्लीज़ अन्दर डालो न।
वो लंड खाने के लिए अपनी गांड ऊपर उठाने के साथ साथ नीचे की ओर खिसकने लगीं।
ये देख कर मैंने देर ना करते हुए लंड एक ही ज़ोर के झटके में चुत की जड़ तक अन्दर पेल दिया।
सलोनी भाभी की चुत की मां चुद गई। उन्होंने अपनी मुठ्ठियां भींच कर एक तेज आवाज में ‘आह मर गई ।।’ की आवाज़ निकाली।
भाभी की चुत काफ़ी टाइट थी, पर उनको ज़्यादा दर्द शायद इसलिए नहीं हुआ … क्योंकि मैंने काफ़ी देर तक उनकी चुत को सुपारे से रगड़ कर गीला कर दिया था।
फिर भी मेरे मोटे लवड़े के जोरदार प्रहार से भाभी दहल गई थीं और मेरी कमर को अपने हाथ से रोक कर मुझे अपने दर्द का अहसास करवा दिया था।
कुछ देर रुकने के बाद मैं आगे पीछे होते हुए तेज़ तेज़ धक्के देने लगा। मेरे धक्के अब इतने तेज़ हो गए थे कि सलोनी भाभी की कमर, जो बेड के किनारे से बाहर थी, वो बेड के ऊपर जा चुकी थी।
मैंने लंड बाहर निकाला और भाभी को पैरों से पकड़ कर वापस बेड के किनारे कर दिया।
फिर मैंने अपने लंड पर एक कंडोम खोल कर चढ़ाया और लंड को वापस सलोनी भाभी की मक्खन जैसी गोरी चुत की गहराई में उतार दिया। इस बार सलोनी भाभी ने अपने दोनों हाथों से बिस्तर के किनारों को पकड़ लिया … ताकि वो मेरे झटकों से बेड के ऊपर की ओर ना खिसक सकें।
लंड के धक्के लगने चालू हो गए। कोई 5 मिनट के तेज़ झटकों के बाद मेरा पानी निकालने वाला हुआ … तो मैंने अपना लंड चुत से बाहर खींच लिया और सलोनी भाभी के ऊपर झुक कर उनके होंठों को चूमने लगा। वो भी मेरे होंठों और जीभ को बेइंतिहा चूसने लगीं।
एक मिनट के चुंबन के बाद मैंने फिर से अपना लंड चुत में डाल दिया और झुक कर किस करते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा इस पोज़ में मैंने सलोनी को कुछ मिनट तक और चोदा और मेरा पानी फिर से निकालने को हुआ तो मैंने फिर से लंड बाहर खींच लिया।
मुझे सर्दी के समय में भी बहुत पसीने आ रहे थे। मेरे शरीर पेर बहुत ज़्यादा बाल हैं, जिनमें से कुछ टूट चुके बाल सलोनी भाभी के पेट पर चिपके हुए थे।
मैं झुक कर सलोनी भाभी की चुचियां पीने लगा। भाभी मेरे बालों में हाथ फिराने लगीं। लगभग 30 सेकेंड बाद मैंने भाभी की एक चूची चूसते हुए अपना लंड चुत में डाल दिया।
अब मैंने अपना मुँह भाभी की चुचियों से हटाते हुए उनसे मेरे गले में हाथ डालने के लिए कहा। भाभी ने अपने हाथ मेरे गले में लटका दिए। फिर मैंने उनसे उनकी दोनों टांगों को मेरी कमर में लपेटने को बोला। उन्होंने वैसा ही किया।
अब मैं सलोनी भाभी के ऊपर झुका हुआ था और मेरा लंड उनकी चुत के अन्दर था। मैंने भाभी की कमर के नीचे हाथ डाले और अपनी कमर को सीधा करते हुए खड़ा हो गया।
सलोनी भाभी मेरे लंड को अपनी छूट में जड़ तक डाले हुए दोनों टांगों को मेरी कमर में लपेटे मेरी बांहों में हवा में झूल रही थीं।
मैं अपने हाथ उनकी गांड के नीचे लाया और भाभी को हल्का सा ऊपर उठा कर एकदम से छोड़ दिया। इससे मेरा लंड भाभी की चुत को अन्दर से बाहर तक मस्त रगड़ गया। मैंने बार बार ऐसा करना शुरू कर दिया।
मेरा लंड चुत में अन्दर बाहर हो रहा था।
सलोनी भाभी बहुत तेज़ तेज़ ‘आह … ऑश … उईईहह ।।’ की आवाजें निकाल रही थीं।
पर मैं इस पोज 3 मिनट ही रह पाया, क्योंकि हर झटके में सलोनी भाभी के हाथों और पैरों की पकड़ ढीली होती जा रही थी। इस पोज़ ने मुझे भी बहुत थका दिया था। मैंने वापस अपनी कमर को झुकाया और सलोनी भाभी को बेड पेर लेटा दिया।
भाभी के शरीर की मालिश करने से लेकर फ़ोरप्ले और सेक्स करते हुए मुझे एक घंटा से भी ज्यादा हो चुका था। इतनी देर चुदाई करने के बाद भी मेरा लंड नहीं थका था। वो अब भी खड़ा था।
भाभी ने मुझे चूमा और इशारा किया। मैं नीचे लेटने के उनके इशारे को समझ गया। मैं लेट गया और सलोनी अपना मुँह मेरी तरफ करते हुए मेरे लंड पर बैठ गईं। लंड चुत में फंसा कर भाभी बिल्कुल धीरे धीरे आगे पीछे गांड रगड़ते हुए चुदने लगीं।
दोस्तो, सलोनी भाभी का ये पसंदीदा पोज़ था। इस पोज़ में उन्हें 10 मिनट से भी ज़्यादा हो गए थे। वो बीच में जब भी थक जातीं, तो मैं उन्हें अपने सीने पर लेटने के लिए बोल देता, पर लंड चुत से नहीं निकालता। उनके लेटते ही मैं नीचे से ठोकर देना शुरू कर देता था।
मैं नीचे से अपनी कमर उचका कर लंड ऊपर नीचे करता, तो भाभी आह आह करने लगतीं।
कुछ मिनट के बाद भी जब मेरा स्खलन नहीं हुआ, तो सलोनी भाभी बोलने लगीं- मेरी ‘सी’ में दर्द होने लगा है … अब तो हो जाओ।
मैंने भाभी को बेड पेर लिटा कर उनकी टांगें हवा में ऊपर उठा दीं और अपने लंड से कंडोम हटा कर लंड चुत में डाल दिया। भाभी की मीठी आह निकल गई। मैं उनके ऊपर चढ़कर आगे पीछे होने लगा।
पांच मिनट बाद जब मेरा पानी निकलने वाला हुआ, तो मैंने सलोनी भाभी की चुत से लंड बाहर खींच कर हाथ से हिला कर उनके पेट और चुत के बीच अपना वीर्य डाल दिया।
सलोनी भाभी को गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं थी। वो कभी नहीं चाहती थीं कि उनके शरीर के ऊपर वीर्य की एक भी बूंद टपके, भले ही वो अपनी चुत में वीर्य डलवा लेंगी, पर शरीर पर गंदगी नहीं पसंद थी।
सलोनी भाभी ने मेरे वीर्य टपकाने से बहुत गंदा मुँह बना लिया। तो मैंने अपने कच्छे से उसे साफ कर दिया। फिर भी वो उससे तुरंत पानी से धो कर आईं।
अब दो बज रहे थे। मैं 11:45 पर सलोनी भाभी के घर आया था। मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा था। मैंने अपने कपड़े उठाए और पहन लिए।
चमेली का तेल, बचे हुए कंडोम, एक इस्तेमाल किया हुआ कंडोम, इन सबको को पेपर में लपेट कर अपने बैग में डाल लिया। इसके बाद गीले कच्छे और शॉर्ट्स को भी बैग में ठूंस लिया।
दोस्तो, जब भी मुझे लंबे टाइम तक सेक्स करना होता है, उससे एक दिन पहले में रात को 2 बार हस्तमैथुन करके सोता हूँ, जिससे मैं लम्बा दौड़ सकूँ। जिस दिन मुझे सेक्स करना होता है, उस दिन सलोनी भाभी के घर की तरफ निकलने से एक घंटे पहले भी हस्तमैथुन करता हूँ। दो बार सेक्स करने के दौरान अपने आपको झड़ने से रोकता हूँ।
अब चाहे आप मुझसे 2 घंटे सेक्स करवा लो, मैं कर सकता हूँ। वो बात और है कि इतनी देर तक चुदाई करने से मेरा लंड बुरी तरह घायल हो जाएगा और अगले तीन दिनों तक मुझे मूतने में भी तकलीफ़ होगी।
सलोनी भाभी स्नानघर से वापस आकर 5 मिनट के लिए मेरे साथ बेड पर मेरी बांहों में लेट गईं और मेरे चेहरे पर हर जगह ढेर सारे चुम्बन करने के बाद मुझे देखने लगीं।
मैंने मुस्कुरा कर भाभी को आंख मारी।
तो भाभी बोलीं- थैंक्यू मेरे जादूगर, तुमने वास्तव में आज का दिन मेरी ज़िंदगी का स्पेशल दिन बना दिया। मैं बार बार से डिस्चार्ज हुई। मुझे खुद नहीं पता चला कि मैं कितनी बार हुई। मैं तुमसे प्यार करती हूँ। अब तुम जाओ … अरुण आता ही होगा।
मैं भाभी की चुदाई करके वापस अपने रूम पर आ गया। इसके बाद तो न जाने कितनी बार मैंने भाभी की चुत चोदी होगी। भाभी भी हर बार मुझसे पूरी तरह संतुष्ट हो जाती थीं।
Friends mera naam Vikram hai. Main ek middle class family se hoon aur Faridabad mein rehta hun. Mere ghar mein main, mummy, papa hain bas. Papa ka apna kaam hai. Main kabhi kaam pe papa ke saath to kabhi masti yahi mera kaam hai. Meri mom house wife hain. Ye kahani meri maa ki hai. Meri maa ka naam Sapna hai, unki age 48 years aur figure 36 34 38 hai.. Ab main kahani pe aata hun aapko jyada na pakate hue.Ye khani meri maa or mere facebook friend ki hai. Meri maa ek normal house wife thi is kahani se pehle. Ye kahani 3 month pehle ki hai. Karib 6.. Months pehle main aapne ek facebook friend ko apne ghar leke aaya tha or use apni mom dad se milaya tha. Wo humare ghar se karib 5 km door hi tha to hum dono mein bahut achchhi dosti ho gayi or us ka mere ghar aana jaana ho gaya. Wo kabhi kabhi mere na hone par bhi aane laga. Kabhi meri maa use market mein milti to wo maa ki help bhi kar deta tha. Dheere dheere wo maa se bahut close ho gaya or maa ne bhi use apna mobile nu...
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