मेरा नाम यतीन्द्र सिंह है। मेरी उम्र 26 साल है, लंबाई पूरी 6 फीट की और वजन 75 किलो है। मैं दिल्ली में रहता हूँ।
यह स्टोरी मेरे और एक विवाहित महिला के बीच के संबंधों की है। मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
बात आज से 3 साल पहले की है। तब मैं सरकारी नौकरी के परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता हूँ। इसलिए मेरे घर वाले मेरा खर्च ज़्यादा दिनों तक नहीं उठा सकते थे। मैंने खुद अपना खर्च उठाने की सोच कर होम ट्यूशन देने की सोची।
मैंने अपने इस काम के लिए विज्ञापन करने के लिए कुछ पर्चे छपवाए। मैंने और मेरे एक दोस्त ने मिलकर ये विज्ञापन बहुत सी जगह पर चिपकाए।
अगले दिन मुझे एक महिला का फोन आया, जो अपने 8वीं कक्षा के बच्चे को मुझसे पढ़वाना चाहती थी। मैंने उनसे उनके घर आने के लिए कह दिया।
उस महिला ने अपना पता मुझे दे दिया … फोन नम्बर तो आ ही गया था।
अगले दिन मैं उस महिला के दिए हुए पते पर पहुंच गया।
ये किसी राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता का आलीशन बंगला था।
यहां मेरी मुलाक़ात बच्चे के माता-पिता से हुई। उस बच्चे का नाम अरुण था। कुछ औपचारिक बातों के बात मैंने अरुण को पढ़ाना शुरू कर दिया।
बच्चे को मेरा पढ़ाया हुआ समझ आ गया और इस तरह मुझे मेरा पहली होम ट्यूशन मिल गई।
अरुण की मम्मी का नाम सलोनी था। उनकी उम्र यही कोई 37 साल थी। वो देखने में एकदम सफेद काग़ज़ सी गोरी, सूट सलवार पहने वाली अमीर औरत थीं।
मैं उनसे भाभी जी कहने लगा था। शुरू में मेरे उनके लिए कोई ग़लत विचार नहीं थे।
मैं रोज ट्यूशन पढ़ाते समय एक कप कॉफी पीता था, जो सलोनी भाभी खुद या कभी कभी उनकी नौकरानी बना कर मुझे दे जाती थी। पर अधिकांशत: सलोनी भाभी ही मुझे कॉफ़ी अपने हाथों से देने आती थीं।
अरुण को पढ़ाते हुए मुझे लगभग दस दिन हो गए थे। सब कुछ नॉर्मल चल रहा था। अरुण मुझसे पढ़ने से पहले तैराकी सीखने जाता था। इसलिए वो काफी थका थका सा रहता था।
एक दिन मैं अरुण के घर समय से 20 मिनट पहले पहुंच गया था। उस वक्त तक अरुण तैराकी सीख कर वापस नहीं आया था।
मुझे देख कर सलोनी भाभी ने मुझे बैठने को कहा और हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे।
उन्होंने मेरे बारे में पूछा, मेरी फैमिली के बारे में पूछा। मैंने भी उन से उनके बारे में पूछा।
भाभी बोलीं- मैं तो सारे दिन बोर होती रहती हूँ। अरुण के पापा सुबह से रात तक बिज़ी रहते हैं। आप अगर जल्दी आ सकते हो, तो आ जाया करो। हम लोग साथ में कॉफी पीते हुए गप-शप मार लिया करेंगे।
ये कह कर सलोनी भाभी हंसने लगीं।
मैंने बोला- हां हां भाभी क्यों नहीं, मैं कल से 30 मिनट पहले आ जाऊंगा।
उन्होंने मुस्कुरा कर बोला- ठीक है।
फिर इसी तरह हम लोग एक दूसरे से बातें करने लगे। उनकी बातों से पता लगा कि वो बहुत अकेली महसूस करती हैं।
अब मैं सलोनी भाभी को पसंद करने लगा था। हम दोनों काफी हंस हंस कर एक दूसरे से बात करने लगे थे। हमारे बीच मोबाइल पर भी चैट होने लगी थी। मैं उन्हें जोक्स भेज देता था।
फिर एक दिन उन्होंने खुद ही मुझे एक एडल्ट जोक भेज दिया, तो मेरी तरफ से भी इसी तरह से एडल्ट जोक्स उनको जाने लगे। हम दोनों एक दूसरे से काफी खुल गए थे।
एक दिन मैं अरुण को पढ़ाने से आधा घंटे पहले भाभी के पास बैठा हुआ बात कर रहा था। उसी दौरान मेरा हाथ ग़लती से भाभी के हाथ पर रख गया और भाभी ये देख कर मुस्कुराने लगीं।
मैंने उसी पल सलोनी भाभी को मेरी दोस्ती का प्रपोजल दिया, जो उन्होंने तुरंत हामी भरते हुए स्वीकार कर लिया।
अब हम लोग एक दूसरे को फोन पर देर देर तक बातचीत करने लगे।
मुझे अरुण को पढ़ाते हुए लगभग 25 दिन हो गए थे।
मैंने एक दिन सलोनी भाभी को अपने दिल की बात बताई कि मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ।
भाभी ने हंस कर जवाब दिया- तुम अभी जवान हो, तुम्हारा खून गर्म है। कोई अपनी उम्र की लड़की ढूंढो।
मैंने कहा- सलोनी भाभी, आपको मना करना है, तो आप ना बोल दो। पर इस तरह से ज्ञान मत बांटो।
मेरी इस बात पर भाभी गुस्सा हो गई और वहां से उठ कर चली गईं।
मैंने अरुण को आज बड़ी मुश्किल से पढ़ाया क्योंकि आज मैं बहुत डरा हुआ था। अगर सलोनी भाभी बुरा मान गईं और उन्होंने ये बात अरुण के पिता जी को बता दी, तो मैं तो गया काम से।
उनके पति वैसे भी एक नेता हैं, मुझे नहीं छोड़ेंगे।
मैंने सलोनी भाभी को सॉरी लिख कर एक संदेश उनके फोन पर भेजा।
उनका जवाब आ गया- बस हो गई आपकी पसंद खत्म!
मैं- नहीं भाभी, मैं आपको हमेशा पसंद करता था … और करता रहूँगा पर आपको मंज़ूर नहीं है, तो मैं कर भी क्या सकता हूँ।
सलोनी- ठीक है। मैंने आपको माफ़ किया कल एक घंटे पहले आ जाना … शुभ रात्रि।
मैं उनके इस तरह के रूखे जवाब से मैं और भी डर गया कि यार भाभी मुझे एक घंटे पहले क्यों बुला रही हैं।
अगले दिन मैं डरते डरते उनके घर पहुंचा। सलोनी भाभी मेरा ही इंतज़ार कर रही थीं।
मेरे जाते ही उन्होंने मुझसे बोला- सर, आप 5 मिनट देरी से आए हो!
मैं चुप रहा क्योंकि मैं कुछ भी बोलने की हालत में नहीं था।
वो मेरे साथ बैठ गईं और बोलीं- तुम्हें मुझमें क्या पसंद आ गया है, जो तुम मेरी और अपनी उम्र का ख्याल भूल गए हो। किसी जवान सुन्दर लड़की के पास जाओ … और उससे अपना दिल लगाओ। यहां तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।
मैंने उन्हें उत्तर दिया- मुझे कुछ नहीं, बस आपका साथ चाहिए।
सलोनी भाभी ने हंस कर बोला- वो सब तो ठीक है, पर तुम समझ क्यों नहीं रहे हो!
उनके इतना बोलते ही मैंने उनको अपनी बांहें खोल कर मेरे नज़दीक आने का इशारा किया।
वो बिना कुछ सोचे मेरी बांहों में आ गईं और अगले ही पल मुझसे दूर होकर अपने शयन-कक्ष (बेडरूम) में ऊपर चली गईं।
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मुझे एक ही ख्याल आ रहा था कि अगर मैं आज चूका तो फिर शायद कभी भी सलोनी भाभी के प्यार को ना पा सकूंगा।
दूसरी तरफ मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं मेरी किसी गलत हरकत से भाभी बुरा ना मान जाएं क्योंकि उनका बुरा मानना मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर सकता था।
फिर मैंने सर झटकते हुए सोचा कि जो होगा, सो देखा जाएगा। मैं उनके पीछे उनके शयन-कक्ष में पहुंच गया। सलोनी भाभी कमरे में एक कुर्सी पर बैठी हुई थीं।
मैंने अन्दर जाते ही बोला- भाभी, आपको मैं पसंद नहीं हूँ क्या?
तो उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए जवाब दिया- नहीं, ऐसा नहीं है। मैं तुम्हें पहले दिन से पसंद करती हूँ। तुम दिखने में कद-काठी में … और बोलने में काफी अच्छे हो। तुम्हें तो कोई भी लड़की मिल जाएगी … फिर मैं ही क्यों?
मैं उनके बेड पर बैठ गया और भाभी से बोला- आप मुझसे कब तक दूर भागेंगी इधर आइए, मेरे पास बैठिए।
वो उठ कर मेरे पास आईं, तो मैं भी उठ खड़ा हुआ और उन्हें अपनी बांहों में लेकर उनसे गले लग गया।
मैंने धीरे से अपने हाथ उनकी पीठ पर रख कर उन्हें अपनी तरफ खींचा और अपनी छाती से चिपका लिया। उनके चुचे मेरी छाती से चिपक रहे थे और उनकी गर्दन मेरे कंधे के पास थी।
भाभी ने अपनी आंखें बंद की हुई थीं और मुझसे मज़बूती से चिपकी हुई थीं। उनके हाथ भी मेरी पीठ पर थे।
मैं अपने हाथ नीचे उनके पिछवाड़े पर ले गया और उन्हें दबाने लगा।
इस पर भाभी ने ‘इस्स ।।’ की आवाज़ निकाली और मुझे अलग होने के लिए बोला।
पर मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया। वो मेरे नीचे थीं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया था। मैंने उनके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और उनके एक चूचे को अपने एक हाथ से दबाने लगा।
कोई 30 सेकेंड के विरोध के बाद वो मेरा साथ देने लगीं और मेरी जीभ को चूसने लगीं। लगभग 3-4 मिनट की किस के बाद मैंने उनका शर्ट ऊपर करना चाहा, तो वो मुझे रोकने लगीं।
पर मैं बहुत गर्म हो चुका था, तो रुकना नहीं चाहता था। मैंने उनका सूट को झट से ऊपर किया और ब्रा के कप को नीचे करके उनके चूचों पर टूट पड़ा।
भाभी ने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैंने भाभी का एक चुचा अपने मुँह में डाला और उसे मस्ती से चूसने लगा। भाभी की मीठी आहें निकलने लगीं। उनका एक दूध चूसता हुआ मैं दूसरे वाले को अपने हाथ से दबा रहा था।
भाभी पागल हुई जा रही थीं। उनका शरीर अकड़ रहा था और वो अपनी गर्दन को बार बार ऊपर करके मुझे अपने चुचे चूसते हुई देख रही थीं। उनके निप्पल से कुछ रस या दूध सा भी मेरे मुँह में आ रहा था। मुझे वो दूध अच्छा लग रहा था।
मैं एक भूखे हब्शी की तरह उनके दोनों चूचों को बारी बारी से चूस रहा था।
कुछ पल बाद मैंने एक हाथ उनकी पज़ामी में डाल दिया और उनकी चुत को टटोलने की कोशिश करने लगा। भाभी की चुत थोड़ी गीली होने लगी थी।
फिर जैसे ही उन्हें होश आया कि मेरा हाथ उनकी चुत को छू रहा है, वो आह भरती हुई मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं। उन्होंने अपनी दोनों टांगों को एक दूसरे से चिपका लिया और मेरा हाथ बाहर खींच दिया। मैं अब भी उनके चूचों को चूस रहा था।
मैंने अपना मुँह उनके चूचों से हटाया और पजामी को उतारने की कोशिश की।
इस पर भाभी ने मना कर दिया और बोलीं- नहीं यार प्लीज़ … अब तुम रुक जाओ। इससे आगे नहीं।
मैंने सलोनी भाभी से विनती की- भाभी, आप मुझे अपनी चुत चूसने दो, आपको मजा आएगा।
पर वो नहीं मानी और बोलीं- वो गंदी जगह है। मैं तुमको ये नहीं करने दूंगी।
उनकी इस बात से मेरे सारे अरमानों पर मानो पानी फिर गया था। मैं बहुत गर्म हो चुका था और मेरा लंड मेरी पैंट फाड़ने को हो रहा था। अपने आपको शांत करने के लिए मैं वहां से उठ कर स्नानघर में चला गया और अपना मुँह धोकर बाहर आया।
मैंने देखा कि भाभी कमरे से जा चुकी थीं। बाहर आ कर देखा कि वो ऊपर बने एक छोटे से रसोईघर में कॉफी बना रही थीं।
मैं चुपचाप अरुण के कमरे में जाकर बैठ गया।
थोड़ी देर में भाभी कॉफी लेकर आईं और बोलीं तुम्हारे अन्दर बहुत जोश है … लो कॉफी पियो।
मैंने कॉफ़ी का कप लेते हुए कहा- कैसा जोश भाभी … आप भी तो इतनी गर्म हैं। हर चीज़ का आनन्द ले रही थीं, फिर भी मुझे रोक दिया।
उन्होंने बोला- अरुण के पापा और मैं नीचे मुँह नहीं लगाते। वो गंदी जगह है। वहां मुँह नहीं लगाना चाहिए।
इस पर मैंने उनसे पूछ लिया- आप लोग कितने दिनों के अंतर पर सेक्स करते हैं।
इस पर उन्होंने बड़ा गोल मोल जवाब दिया।
उन्होंने कहा- नयी नयी शादी होने पर तो हर पति पत्नी रोज रात में एक बार सेक्स करते ही हैं। उनके बीच ये लगभग 3 से 6 महीने तक चलता है। पर उसके बाद ये अंतर बढ़ जाता है … और बच्चे पैदा होने के 1-2 साल बाद तो पति-पत्नी में सेक्स की चाह घटती चली जाती है। फिर वो दोनों अपना पूरा टाइम बच्चे और परिवार की देख रेख में गुजार देते हैं।
मैंने बोला- भाभी आपने अपना जवाब नहीं दिया कि अभी आप लोग कितने दिनों के अंतर पर सेक्स करते हैं?
भाभी मेरी बात का जवाब नहीं दे रही थीं। वो गोल मोल जवाब देकर मुझे बहला रही थीं।
यह स्टोरी मेरे और एक विवाहित महिला के बीच के संबंधों की है। मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
बात आज से 3 साल पहले की है। तब मैं सरकारी नौकरी के परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता हूँ। इसलिए मेरे घर वाले मेरा खर्च ज़्यादा दिनों तक नहीं उठा सकते थे। मैंने खुद अपना खर्च उठाने की सोच कर होम ट्यूशन देने की सोची।
मैंने अपने इस काम के लिए विज्ञापन करने के लिए कुछ पर्चे छपवाए। मैंने और मेरे एक दोस्त ने मिलकर ये विज्ञापन बहुत सी जगह पर चिपकाए।
अगले दिन मुझे एक महिला का फोन आया, जो अपने 8वीं कक्षा के बच्चे को मुझसे पढ़वाना चाहती थी। मैंने उनसे उनके घर आने के लिए कह दिया।
उस महिला ने अपना पता मुझे दे दिया … फोन नम्बर तो आ ही गया था।
अगले दिन मैं उस महिला के दिए हुए पते पर पहुंच गया।
ये किसी राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता का आलीशन बंगला था।
यहां मेरी मुलाक़ात बच्चे के माता-पिता से हुई। उस बच्चे का नाम अरुण था। कुछ औपचारिक बातों के बात मैंने अरुण को पढ़ाना शुरू कर दिया।
बच्चे को मेरा पढ़ाया हुआ समझ आ गया और इस तरह मुझे मेरा पहली होम ट्यूशन मिल गई।
अरुण की मम्मी का नाम सलोनी था। उनकी उम्र यही कोई 37 साल थी। वो देखने में एकदम सफेद काग़ज़ सी गोरी, सूट सलवार पहने वाली अमीर औरत थीं।
मैं उनसे भाभी जी कहने लगा था। शुरू में मेरे उनके लिए कोई ग़लत विचार नहीं थे।
मैं रोज ट्यूशन पढ़ाते समय एक कप कॉफी पीता था, जो सलोनी भाभी खुद या कभी कभी उनकी नौकरानी बना कर मुझे दे जाती थी। पर अधिकांशत: सलोनी भाभी ही मुझे कॉफ़ी अपने हाथों से देने आती थीं।
अरुण को पढ़ाते हुए मुझे लगभग दस दिन हो गए थे। सब कुछ नॉर्मल चल रहा था। अरुण मुझसे पढ़ने से पहले तैराकी सीखने जाता था। इसलिए वो काफी थका थका सा रहता था।
एक दिन मैं अरुण के घर समय से 20 मिनट पहले पहुंच गया था। उस वक्त तक अरुण तैराकी सीख कर वापस नहीं आया था।
मुझे देख कर सलोनी भाभी ने मुझे बैठने को कहा और हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे।
उन्होंने मेरे बारे में पूछा, मेरी फैमिली के बारे में पूछा। मैंने भी उन से उनके बारे में पूछा।
भाभी बोलीं- मैं तो सारे दिन बोर होती रहती हूँ। अरुण के पापा सुबह से रात तक बिज़ी रहते हैं। आप अगर जल्दी आ सकते हो, तो आ जाया करो। हम लोग साथ में कॉफी पीते हुए गप-शप मार लिया करेंगे।
ये कह कर सलोनी भाभी हंसने लगीं।
मैंने बोला- हां हां भाभी क्यों नहीं, मैं कल से 30 मिनट पहले आ जाऊंगा।
उन्होंने मुस्कुरा कर बोला- ठीक है।
फिर इसी तरह हम लोग एक दूसरे से बातें करने लगे। उनकी बातों से पता लगा कि वो बहुत अकेली महसूस करती हैं।
अब मैं सलोनी भाभी को पसंद करने लगा था। हम दोनों काफी हंस हंस कर एक दूसरे से बात करने लगे थे। हमारे बीच मोबाइल पर भी चैट होने लगी थी। मैं उन्हें जोक्स भेज देता था।
फिर एक दिन उन्होंने खुद ही मुझे एक एडल्ट जोक भेज दिया, तो मेरी तरफ से भी इसी तरह से एडल्ट जोक्स उनको जाने लगे। हम दोनों एक दूसरे से काफी खुल गए थे।
एक दिन मैं अरुण को पढ़ाने से आधा घंटे पहले भाभी के पास बैठा हुआ बात कर रहा था। उसी दौरान मेरा हाथ ग़लती से भाभी के हाथ पर रख गया और भाभी ये देख कर मुस्कुराने लगीं।
मैंने उसी पल सलोनी भाभी को मेरी दोस्ती का प्रपोजल दिया, जो उन्होंने तुरंत हामी भरते हुए स्वीकार कर लिया।
अब हम लोग एक दूसरे को फोन पर देर देर तक बातचीत करने लगे।
मुझे अरुण को पढ़ाते हुए लगभग 25 दिन हो गए थे।
मैंने एक दिन सलोनी भाभी को अपने दिल की बात बताई कि मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ।
भाभी ने हंस कर जवाब दिया- तुम अभी जवान हो, तुम्हारा खून गर्म है। कोई अपनी उम्र की लड़की ढूंढो।
मैंने कहा- सलोनी भाभी, आपको मना करना है, तो आप ना बोल दो। पर इस तरह से ज्ञान मत बांटो।
मेरी इस बात पर भाभी गुस्सा हो गई और वहां से उठ कर चली गईं।
मैंने अरुण को आज बड़ी मुश्किल से पढ़ाया क्योंकि आज मैं बहुत डरा हुआ था। अगर सलोनी भाभी बुरा मान गईं और उन्होंने ये बात अरुण के पिता जी को बता दी, तो मैं तो गया काम से।
उनके पति वैसे भी एक नेता हैं, मुझे नहीं छोड़ेंगे।
मैंने सलोनी भाभी को सॉरी लिख कर एक संदेश उनके फोन पर भेजा।
उनका जवाब आ गया- बस हो गई आपकी पसंद खत्म!
मैं- नहीं भाभी, मैं आपको हमेशा पसंद करता था … और करता रहूँगा पर आपको मंज़ूर नहीं है, तो मैं कर भी क्या सकता हूँ।
सलोनी- ठीक है। मैंने आपको माफ़ किया कल एक घंटे पहले आ जाना … शुभ रात्रि।
मैं उनके इस तरह के रूखे जवाब से मैं और भी डर गया कि यार भाभी मुझे एक घंटे पहले क्यों बुला रही हैं।
अगले दिन मैं डरते डरते उनके घर पहुंचा। सलोनी भाभी मेरा ही इंतज़ार कर रही थीं।
मेरे जाते ही उन्होंने मुझसे बोला- सर, आप 5 मिनट देरी से आए हो!
मैं चुप रहा क्योंकि मैं कुछ भी बोलने की हालत में नहीं था।
वो मेरे साथ बैठ गईं और बोलीं- तुम्हें मुझमें क्या पसंद आ गया है, जो तुम मेरी और अपनी उम्र का ख्याल भूल गए हो। किसी जवान सुन्दर लड़की के पास जाओ … और उससे अपना दिल लगाओ। यहां तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।
मैंने उन्हें उत्तर दिया- मुझे कुछ नहीं, बस आपका साथ चाहिए।
सलोनी भाभी ने हंस कर बोला- वो सब तो ठीक है, पर तुम समझ क्यों नहीं रहे हो!
उनके इतना बोलते ही मैंने उनको अपनी बांहें खोल कर मेरे नज़दीक आने का इशारा किया।
वो बिना कुछ सोचे मेरी बांहों में आ गईं और अगले ही पल मुझसे दूर होकर अपने शयन-कक्ष (बेडरूम) में ऊपर चली गईं।
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मुझे एक ही ख्याल आ रहा था कि अगर मैं आज चूका तो फिर शायद कभी भी सलोनी भाभी के प्यार को ना पा सकूंगा।
दूसरी तरफ मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं मेरी किसी गलत हरकत से भाभी बुरा ना मान जाएं क्योंकि उनका बुरा मानना मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर सकता था।
फिर मैंने सर झटकते हुए सोचा कि जो होगा, सो देखा जाएगा। मैं उनके पीछे उनके शयन-कक्ष में पहुंच गया। सलोनी भाभी कमरे में एक कुर्सी पर बैठी हुई थीं।
मैंने अन्दर जाते ही बोला- भाभी, आपको मैं पसंद नहीं हूँ क्या?
तो उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए जवाब दिया- नहीं, ऐसा नहीं है। मैं तुम्हें पहले दिन से पसंद करती हूँ। तुम दिखने में कद-काठी में … और बोलने में काफी अच्छे हो। तुम्हें तो कोई भी लड़की मिल जाएगी … फिर मैं ही क्यों?
मैं उनके बेड पर बैठ गया और भाभी से बोला- आप मुझसे कब तक दूर भागेंगी इधर आइए, मेरे पास बैठिए।
वो उठ कर मेरे पास आईं, तो मैं भी उठ खड़ा हुआ और उन्हें अपनी बांहों में लेकर उनसे गले लग गया।
मैंने धीरे से अपने हाथ उनकी पीठ पर रख कर उन्हें अपनी तरफ खींचा और अपनी छाती से चिपका लिया। उनके चुचे मेरी छाती से चिपक रहे थे और उनकी गर्दन मेरे कंधे के पास थी।
भाभी ने अपनी आंखें बंद की हुई थीं और मुझसे मज़बूती से चिपकी हुई थीं। उनके हाथ भी मेरी पीठ पर थे।
मैं अपने हाथ नीचे उनके पिछवाड़े पर ले गया और उन्हें दबाने लगा।
इस पर भाभी ने ‘इस्स ।।’ की आवाज़ निकाली और मुझे अलग होने के लिए बोला।
पर मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया। वो मेरे नीचे थीं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया था। मैंने उनके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और उनके एक चूचे को अपने एक हाथ से दबाने लगा।
कोई 30 सेकेंड के विरोध के बाद वो मेरा साथ देने लगीं और मेरी जीभ को चूसने लगीं। लगभग 3-4 मिनट की किस के बाद मैंने उनका शर्ट ऊपर करना चाहा, तो वो मुझे रोकने लगीं।
पर मैं बहुत गर्म हो चुका था, तो रुकना नहीं चाहता था। मैंने उनका सूट को झट से ऊपर किया और ब्रा के कप को नीचे करके उनके चूचों पर टूट पड़ा।
भाभी ने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैंने भाभी का एक चुचा अपने मुँह में डाला और उसे मस्ती से चूसने लगा। भाभी की मीठी आहें निकलने लगीं। उनका एक दूध चूसता हुआ मैं दूसरे वाले को अपने हाथ से दबा रहा था।
भाभी पागल हुई जा रही थीं। उनका शरीर अकड़ रहा था और वो अपनी गर्दन को बार बार ऊपर करके मुझे अपने चुचे चूसते हुई देख रही थीं। उनके निप्पल से कुछ रस या दूध सा भी मेरे मुँह में आ रहा था। मुझे वो दूध अच्छा लग रहा था।
मैं एक भूखे हब्शी की तरह उनके दोनों चूचों को बारी बारी से चूस रहा था।
कुछ पल बाद मैंने एक हाथ उनकी पज़ामी में डाल दिया और उनकी चुत को टटोलने की कोशिश करने लगा। भाभी की चुत थोड़ी गीली होने लगी थी।
फिर जैसे ही उन्हें होश आया कि मेरा हाथ उनकी चुत को छू रहा है, वो आह भरती हुई मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं। उन्होंने अपनी दोनों टांगों को एक दूसरे से चिपका लिया और मेरा हाथ बाहर खींच दिया। मैं अब भी उनके चूचों को चूस रहा था।
मैंने अपना मुँह उनके चूचों से हटाया और पजामी को उतारने की कोशिश की।
इस पर भाभी ने मना कर दिया और बोलीं- नहीं यार प्लीज़ … अब तुम रुक जाओ। इससे आगे नहीं।
मैंने सलोनी भाभी से विनती की- भाभी, आप मुझे अपनी चुत चूसने दो, आपको मजा आएगा।
पर वो नहीं मानी और बोलीं- वो गंदी जगह है। मैं तुमको ये नहीं करने दूंगी।
उनकी इस बात से मेरे सारे अरमानों पर मानो पानी फिर गया था। मैं बहुत गर्म हो चुका था और मेरा लंड मेरी पैंट फाड़ने को हो रहा था। अपने आपको शांत करने के लिए मैं वहां से उठ कर स्नानघर में चला गया और अपना मुँह धोकर बाहर आया।
मैंने देखा कि भाभी कमरे से जा चुकी थीं। बाहर आ कर देखा कि वो ऊपर बने एक छोटे से रसोईघर में कॉफी बना रही थीं।
मैं चुपचाप अरुण के कमरे में जाकर बैठ गया।
थोड़ी देर में भाभी कॉफी लेकर आईं और बोलीं तुम्हारे अन्दर बहुत जोश है … लो कॉफी पियो।
मैंने कॉफ़ी का कप लेते हुए कहा- कैसा जोश भाभी … आप भी तो इतनी गर्म हैं। हर चीज़ का आनन्द ले रही थीं, फिर भी मुझे रोक दिया।
उन्होंने बोला- अरुण के पापा और मैं नीचे मुँह नहीं लगाते। वो गंदी जगह है। वहां मुँह नहीं लगाना चाहिए।
इस पर मैंने उनसे पूछ लिया- आप लोग कितने दिनों के अंतर पर सेक्स करते हैं।
इस पर उन्होंने बड़ा गोल मोल जवाब दिया।
उन्होंने कहा- नयी नयी शादी होने पर तो हर पति पत्नी रोज रात में एक बार सेक्स करते ही हैं। उनके बीच ये लगभग 3 से 6 महीने तक चलता है। पर उसके बाद ये अंतर बढ़ जाता है … और बच्चे पैदा होने के 1-2 साल बाद तो पति-पत्नी में सेक्स की चाह घटती चली जाती है। फिर वो दोनों अपना पूरा टाइम बच्चे और परिवार की देख रेख में गुजार देते हैं।
मैंने बोला- भाभी आपने अपना जवाब नहीं दिया कि अभी आप लोग कितने दिनों के अंतर पर सेक्स करते हैं?
भाभी मेरी बात का जवाब नहीं दे रही थीं। वो गोल मोल जवाब देकर मुझे बहला रही थीं।
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