दोस्तो, मेरा नाम विक्की सिंह है और मेरी उम्र 35 साल है। मैं पंजाब के एक गांव का रहने वाला हूं।
आज तक मैंने बहुत सारी औरतों की चूत और गांड की तसल्ली की है। मेरे लंड का साइज कुछ ज्यादा ही है। मेरा लंड काला है और किसी नाग जैसा दिखता है जो औरतों की चूत के बिल में घुस जाता है और उसको कसकर चोद देता है।
मैं आपके साथ अपनी सेक्स कहानी शेयर करना चाहता हूं। ये देसी वाइफ की चुदाई स्टोरी मेरी बीवी की है। वो मुझे बिना बताये गैर मर्दों से चुदवाकर घर आयी थी।
मेरी बीवी का नाम सिमरजीत कौर है। वह रंग की गोरी है और उसकी उम्र 32 साल है। उसकी हाइट 5 फीट 4 इंच है और फिगर 36-32-38 का है।
मेरी बीवी ने शादी से पहले बहुत सेक्स किया हुआ था। वाइफ की चुदाई की बात उसने खुद मुझे बतायी थी। मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि मैंने भी शादी से पहले बहुत सेक्स किया हुआ था।
मगर अब शादी हो चुकी थी और हम दोनों खुश थे। मेरी बीवी एक बहुत ही अच्छी हाउसवाइफ है। उसने शादी के बाद मेरे अलावा किसी और से सेक्स नहीं किया था।
हमारी शादी को 3 साल हो चुके थे। मेरा एक 2 साल का बेटा भी है।
एक बार की बात है कि सिमर की सहेली हमारे घर आयी। वो हमारे ही गांव के पास वाले गांव में रहती थी।
उसका नाम प्रीत है और फिगर 36-34-40 है। उसको मैं 2-3 बार चोद चुका था मगर सिमर को ये बात नहीं पता थी। प्रीत का रंग सिमर से हल्का सांवला सा था।
उस दिन वो हमारे घर आयी हुई थी।
वो आकर सिमर से कहने लगी- दीदी मेरे साथ शहर चलो। मुझे शहर से कुछ कपड़े लाने हैं और डॉक्टर से दवा भी लेकर आनी है।
पर वो डॉक्टर प्रीत का यार था। ये बात सिमर ने मुझे बाद में बतायी थी।
सिमर मुझसे कहने लगी- आज आपकी भी छुट्टी है और आप घर पर ही हो। मैं प्रीत के साथ शहर चली जाऊं क्या?
पहले तो मैंने मना कर दिया मगर फिर बाद में हां कह दिया जाने के लिए।
मैंने कहा- जल्दी आ जाना।
फिर वो तैयार होने लगी।
उधर प्रीत भी तैयार होने चली गयी।
10.30 बजे के करीब वो दोनों प्रीत की गाड़ी में बैठकर शहर चली गयीं और फिर दोपहर बाद 2.30 बजे के लगभग वापस आ गयीं।
मैंने देखा कि प्रीत सीधी अपने घर चली गयी और सिमर को छोड़ गयी।
सिमर आकर मेरे पास बैठ गयी।
मैंने उसका चेहरा देखा तो काफी खुश लग रही थी। मगर फिर दुखी भी मालूम हो रही थी।
जब मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो कहने लगी- बहुत थक गयी हूं; आज बाजार में घूमते घूमते परेशान हो गयी।
मैंने कोशिश की लेकिन उसने कुछ नहीं बताया।
फिर शाम हो गयी और ऐसे ही फिर खाना खाते हुए रात हो गयी।
मुझे अभी तसल्ली नहीं हुई थी।
अब हम सोने के लिए गये।
सिमर और मैं बेड पर लेटे हुए थे।
वो मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए बोली- सुनो जी, एक बात कहूं अगर गुस्सा नहीं करोगे तो?
मैं बोला- हां कहो, क्या बात है?
वो बोली- पहले हमारे बेटे की कसम खाओ उसके सिर पर हाथ रखकर!
मैंने कहा- हां ले, खा ली कसम! अब बता क्या बात हो गई?
वो बोली- मैं आज दो पराये मर्दों से चुदवाकर आयी हूं।
वाइफ की चुदाई की बात सुनकर मेरा दिमाग खराब हो गया और मैं उसे मारने लगा।
वो चीखने चिल्लाने लगी तो मैंने सोचा कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं, इसने खुद ही सच बता दिया है। अब जो होना था वो तो हो गया है।
फिर मैंने उससे कहा- ठीक है, चल बता किसको चूत देकर आयी है?
वो बोली- डॉक्टर को देकर आयी हूं।
मैं बोला- वो कैसे?
वो बताने लगी:
डॉक्टर प्रीत का बॉयफ्रेंड है। जब हम बाजार पहुंची तो वहां पर हम सूट खरीदने गयीं।
वहां पर काफी भीड़ थी और लोग एक दूसरे से सट सट कर चल रहे थे।
प्रीत मेरे साथ ही चल रही थी तो उसके पीछे एक हट्टा कट्टा सा भैया चल रहा था।
वो बार बार अपना लंड प्रीत की गांड पर सटा रहा था। प्रीत भी मजा लेती हुई चल रही थी।
उसको देखकर मुझे भी लगने लगा कि मेरी गांड में भी कुछ महसूस हो रहा है।
मैंने देखा तो पीछे से 45 साल का आदमी था। वो दरी चादर बेचने वाला था। वो मेरी गांड पर अपना लंड सटा रहा था।
ऐसे ही हम दोनों मजा लेती हुई जा रही थी।
अब हम एक दुकान पर गयी। चादर वाला बंदा चला गया लेकिन वो दूसरा बंदा वहां पर भी पीछे पीछे आ गया। अब मेरे पीछे आकर वो लंड को ऐसे ही गांड पर लगाता रहा। अब इतनी देर से लंड मेरी गांड पर लग रहा था तो मेरी फुद्दी गीली होने लगी।
मैंने उसको पीछे मुड़कर देखा तो वो डर गया और धीरे से प्रीत के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी गांड पर लंड को लगाने लगा।
प्रीत उसके लंड के मजे अपनी गांड पर ले रही थी।
अब मैं तरसने लगी थी। मुझे मेरे कुंवारेपन वाले दिन याद आ रहे थे। फिर हम सूट लेकर डॉक्टर की दुकान पर गये।
प्रीत ने पहले से ही वहां पर अपनी चुदाई का प्रोग्राम सेट किया हुआ था।
उसने मुझे वो बाद में बताया कि उसने डॉक्टर को फोन कर दिया था।
जब हम डॉक्टर के यहां पहुंचे तो वहां पर पहले से ही एक दो मरीज बैठे हुए थे।
उनको जल्दी जल्दी से दवा देकर उसने हमें अंदर बुला लिया।
इतने में ही वो बन्दा जो हमारा पीछा कर रहा था अब वो भी दुकान में आ गया और डॉक्टर उसको देख कर बोला- अरे भई गुज्जर सिंह, क्या हाल है?
फिर उसने मुझे देखा और बोला- हाल तो बहुत बढ़िया है।
उसके बाद वो डॉक्टर को लेकर अंदर चला गया।
अंदर जाकर दोनों ने पता नहीं क्या बात की कि वो दोनों हंसते हुए आये और प्रीत को डॉक्टर ने अंदर बुला लिया।
डॉक्टर प्रीत को कहने लगा कि गुज्जर को तेरी फ्रेंड की फुद्दी चोदनी है।
प्रीत ने मना कर दिया कि वो नहीं देगी यहां। अगर गुज्जर को करना है तो मेरे साथ ही कर ले।
डॉक्टर बोला- नहीं, तू नहीं। तेरी फ्रेंड की चाहिए है गुज्जर को। अगर तूने अपनी फ्रेंड की फुद्दी नहीं दिलवायी तो मैं तेरे वीडियो लोगों को दिखा दूंगा।
उसके बाद प्रीत मेरे पास आई और उसने सारी बात बतायी।
पहले मैं मना करने लगी लेकिन अंदर से मेरा मन भी कर रहा था।
फिर प्रीत के कहने पर मैंने हां कर दी।
डॉक्टर ने अपनी दुकान का शटर गिरा दिया और बाहर दुकान बंद होने का बोर्ड लगा दिया।
फिर प्रीत मुझे ऊपर डॉक्टर के बेडरूम में ले गयी। वो डॉक्टर ने अपने आराम करने के लिए बनाया हुआ था।
वो बंदा भी हमारे पीछे पीछे आ गया।
हम दोनों बेड पर बैठे थे और वो दोनों कुर्सी पर।
फिर डॉक्टर ने हम दोनों को एक दूसरे को किस करने के लिए कहा। हम दोनों किस करने लगे।
होंठों से होंठों को मिलाकर हम किस कर रहे थे और धीरे धीरे हम दोनों गर्म होने लगीं।
अब हम दोनों एक दूसरे के मम्मों को भी दबा रही थीं।
हम दोनों को देखकर वो दोनों भी गर्म हो गये।
अब उन दोनों ने अपने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और हिलाने लगे थे।
जब मैंने डॉक्टर और गुज्जर के लंड को देखा तो देखती ही रह गयी।
गुज्जर का लंड बहुत बड़ा था। एकदम गोरा और लाल टोपा था उसके लंड का। डॉक्टर का लंड आपके लंड जितना था। जान बुरा मत मानना मेरी बात के लिए।
मैंने कहा- अरे तू आगे बता, मैं तेरी बातों का मजा ले रहा हूं। आगे बोल क्या हुआ फिर?
सिमर बोली- फिर वो दोनों हमारे पास आ गये। गुज्जर ने मेरे मुंह में लंड दे दिया और डॉक्टर ने प्रीत के मुंह में लंड दे दिया।
गुज्जर का लंड मेरे मुंह में नहीं जा रहा था। धीरे धीरे करके उसने धकेलते हुए सारा लंड मेरे मुंह में दे दिया।
मेरे मुंह से म्म्म… ऊऊ .. चूप … चूप … की आवाज आ रही थी।
दस मिनट तक चुसवाने के बाद डॉक्टर ने अब प्रीत के मुंह से लंड निकाला और मेरे मुंह में दे दिया।
गुज्जर ने अपना लंड प्रीत के मुंह में दे दिया।
अब डॉक्टर मेरे मुंह में धक्के मार रहा था- कप्प … कप्प … गप्प … गप्प … गुलप … गुलप … करके मेरे मुंह से आवाज हो रही थी।
पांच मिनट तक डॉक्टर का लंड चूसने के बाद मैं फिर से गुज्जर का लंड चूसने लगी।
प्रीत भी मेरे साथ ही गुज्जर का लंड चूसती रही।
फिर डॉक्टर ने प्रीत को खड़ी कर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। होंठ चूसते हुए वो धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने लगा।
कुछ ही देर के अंदर प्रीत को उसने नंगी कर दिया।
फिर गुज्जर ने मुझे भी नंगी कर दिया और हम दोनों अब बेड पर नंगी पड़ी हुई थीं।
गुज्जर ने मेरे पैर पकड़ लिये और चाटने लगा।
मेरे पैर का अंगूठा अपने मुंह में लेकर चूसने लगा; धीरे धीरे चाटता हुआ वो मेरी फुद्दी तक पहुंच गया।
वो मेरी गर्म चूत को चूसने लगा; फिर मेरी चूत के साथ साथ गोरी गोरी गांड के छेद में भी जीभ डालने लगा।
मेरी चूत और गांड की तारीफ करते हुए वो दोनों को चाटता रहा।
फिर प्रीत को पता नहीं क्या हुआ कि वो चीखने लगी। उसको दर्द होने लगा और वो एक तरफ जाकर बैठ गयी।
प्रीत ने दर्द होने का नाटक किया था। वो मुझे दो लंड दिलवाना चाहती थी। ऐसा उसने जाबूझकर किया, और वो भी उस डॉक्टर के कहने पर!
अब वो दोनों लंड सिर्फ मेरे लिए थे।
गुज्जर मेरी चूत को चाट रहा था।
मैं बस सिसकार रही थी- आह्ह … मर गयी … ओह्ह … अम्म्म … आह्ह … ओह्ह … गॉड … चोदो … मुझे चोदो प्लीज।
मैं सिसकार रही थी कि डॉक्टर ने अपने होंठ मेरे होंठों में फंसा दिये।
मेरी आवाज बंद हो गयी।
अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। अब गुज्जर मेरी फुद्दी और गांड के छेद पर लगातार अपने लंड का टोपा रगड़ने लगा। अब मुझे और ज्यादा मजा आने लगा।
डॉक्टर मेरे होंठों को चूसता रहा। फिर गुज्जर ने एक झटका मारा और उसके लंड का टोपा अंदर घुस गया चूत में!
मैं दर्द के मारे तड़प उठी।
तो मैं गुज्जर को रोकने लगी लेकिन डॉक्टर ने मेरे हाथ पकड़ लिये।
उसने मेरे मुंह में लंड दे दिया।
गुज्जर ने एक और झटका मारा और मेरी फुद्दी को चीरता हुआ उसका लंड पूरा अंदर चला गया।
अब मेरी चूत का बुरा हाल था।
गुज्जर का मोटा लंड मेरी चूत में फंसा हुआ था। धीरे धीरे वो धक्के लगाने लगा।
पांच मिनट तक धीरे धीरे चुदने के बाद अब मुझे भी मजा आने लगा।
डॉक्टर मेरे मुंह को चोदने लगा।
फिर धीरे धीरे गुज्जर ने धक्के तेज कर दिये। दस मिनट तक ऐसे ही चुदाई करने के बाद गुज्जर ने पोजीशन बदल ली।
वो नीचे लेट गया और मैं उसके ऊपर बैठ गयी।
फिर पीछे से डॉक्टर मेरी गांड पर थूक लगाया और लंड मेरी गांड के छेद में अपना लंड पेल दिया।
मेरी चीख निकल गयी- ओह्ह … मर गयी … आआआह।
मैंने डॉक्टर से कहा कि धीरे धीरे कर लेकिन वो चोदता रहा। उधर गुज्जर नीचे से चोदता रहा। वो साथ साथ मेरे होंठों को भी चूसता रहा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। अब मैं स्वर्ग का झूला झूल रही थी।
इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया था जितना मजा फुद्दी और गांड में लंड लेकर आ रहा था।
उधर प्रीत अपनी चूत में उंगली देकर मजा ले रही थी।
20 मिनट की चुदाई के बाद डॉक्टर का माल मेरी गांड में निकल गया क्योंकि गुज्जर ने उसको मेरी चूत में लंड नहीं देने दिया।
गुज्जर अब तक चोद रहा था। मैं भी गुज्जर के ऊपर बैठी हुई उससे फुद्दी मरवा रही थी।
वो भी पूरे जोश के साथ धक्के मार रहा था। उधर प्रीत ने डॉक्टर का लंड चाट चाट कर साफ कर दिया था।
फिर गुज्जर ने पोजीशन बदली। मैं नीचे लेटी और गुज्जर ने मेरी टांगें उठाकर मेरी गांड में लंड पेल दिया।
मैं आआ … ओओ … ईई … मर गयी … ओह्ह … आह्ह … चोद … आह्ह … चोद … और चोद … आह्ह आह्ह … करते हुए चुदने लगी।
पूरे रूम में पच … पच … चप … चप की आवाज हो रही थी।
प्रीत और डॉक्टर दोनों मिलकर मेरे पैर चाट रहे थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
35 मिनट की चुदाई के बाद गुज्जर ने मुझे बेड पर बिठाया और मेरे मुंह में लंड देकर सारा माल अंदर निकाल दिया।
उसके लंड का माल बहुत ही गाढ़ा था। मेरा पूरा मुंह भर गया।
प्रीत मेरे पास आकर मुझे किस करने लगी। फिर उसने मेरे मुंह को साफ किया।
फिर मैंने प्रीत से कहा कि टाइम क्या हो गया है तो वो कहने लगी कि 1.30 बज गया है।
फिर हम दोनों ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े साफ किये और मुंह धोया।
मैंने गुज्जर को गले लगाया और फिर नीचे आकर डॉक्टर ने आस पास देखकर दुकान का शटर उठा दिया।
हम दोनों बाहर आ गयीं। बाजार में गाड़ी खड़ी हुई थी।
फिर मैं 2.30 बजे तक यहां आ गयी। अब तुम बताओ कि तुम क्या करना चाहते हो? मुझे अपने साथ रखना चाहते हो या तलाक देना चाहते हो?
मैंने सोचकर सिमर से कहा- मैं तेरी गलती माफ कर सकता हूं अगर तू मेरा एक काम करेगी तो?
वो बोली- मैं तैयार हूं।
मैंने उसको कसम दी कि वो मना नहीं करेगी।
मैंने कहा- अपनी बहन अमनदीप की सील मुझसे तुड़वा दे।
वो एक बार तो सोचने लगी और फिर बोली- ठीक है, मैं अमनदीप की सील तुमसे तुड़वाने के लिए तैयार हूं।
दोस्तो, इस तरह से मेरी बीवी मेरी साली की चुदाई भी मुझसे करवाने के लिए तैयार हो गयी।
Mere parivaar mein main, mera chhoṭa bhai, maa aur pitaji hain. Mere pitaji dubai mein ek safai company mein kaam karte hain. Main graduation 1st year me hun aur mera chhota bhai 11vi class mein. Humari aarthik sthiti ke kaaran mere pitaji kadi mehanat karte hain aur parivaar se door Dubai mein rahte hain. Meri maa 40 saal ki hain. Meri maa ka naam Savita hai aur unk lambai 5 feet 5 inch hai. Wo gori hain lekin thodi moti hain. Unhein saadiyon kaa bahut shauk hai. Wo bistar par jaane se pehle nighty pahanti hain. Meri graduation ki wajah se humein shahar mein shift hona pada. Yahan hum ek apartment mein rahte hain. Ab kahani par aate hain, mere sabse achchhe dost ka naam Rajeev hai. Uske pita ji business karte hain aur wo bhi aksar school ke baad apne pitaji ki madad karta hai. Hum padhai ek saath karte hain. Ek din hum donon mere ghar par padh rahe the aur shaam ke kareeb 7 baje the. Meri maa hamesha shaam ko prarthana ke samay se pahle snaan karti hain. Prarthana karne ke baad maa hu...
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