नमस्कार दोस्तों मेरा नाम राहुल है और मैं अपने चाचा चाचा के साथ मुंबई में रहता हूँ। मैंने अभी अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की है और अब मैं ग्रेजुएशन करने की सोच रहा हूँ। यह घटना मेरे साथ थोड़े दिन पहले ही हुई। मैं पिछले 4 साल से अपने चाचा चाची और उनकी बेटी के साथ मुंबई में रहता हूँ। मैं अपने चाचा चाची के साथ सोता था।
मेरी चाची का नाम गायत्री है और वह दिखने में बहुत खूबसूरत हैं। मेरी चाची को देखकर मुझे लगता ही नहीं है कि उनकी उम्र करीब 40 साल की होगी। चाची मुझे अपने बच्चे जैसा ही मानती है और उनके अपने बच्चे की तरह ही मेरा ख्याल रखती है।
मेरे चाचा एलआईसी कंपनी में एलआईसी एजेंट है जिसकी वजह से वह ज्यादातर शहर से बाहर ही रहते हैं। मेरी चाची घर में ही रहती है और उनकी बेटी अभी पढ़ रही है वैसे तो उनकी बेटी मुझसे उम्र में करीबन 3 साल बड़ी है।
उनकी बेटी किसी वजह पेपर में पास नहीं हो पाई थी तो अभी भी बारवीं कक्षा में है। वैसे तो चाची और उनकी बेटी दोनों ही दिखने में बहुत खूबसूरत है।
दोस्तों मैं कुछ दिन पहले अपनी चाची के साथ दिल्ली आया था। यह सिलसिला जब शुरू हुआ जब चाचा ने मुझे कहा कि अपनी चाची को लेकर दिल्ली जाना है क्योंकि चाची के भाई की लड़की की शादी दिल्ली में ही थी।
चाची चाहती थी कि उनके पति और उनकी बेटी उनके साथ ही जाए लेकिन मेरी बहन का एग्जाम होने की वजह से वह नहीं जा पाई और चाचा भी काम पर व्यस्त है तो चाचा ने मुझसे कहा कि तुम चाची के साथ दिल्ली चले जाओ।
पहले तो मेरा जाने का मन नहीं था फिर मैंने सोचा कि घर पर बैठे-बैठे भी बोर होना है चलो फिर इसी बहाने थोड़ा घूम भी आऊंगा। इसलिए मैंने चाची के साथ जाने के लिए आ कर दी। अब हमें ट्रेन की टिकट भी नहीं मिल रही थी मैंने बहुत बार ट्रैन की टिकट बुक करने की कोसिस की वो हर बार कैंसिल हो जाती हैं।
अब हमें जाना भी जरूरी था तो हमने सोचा कि हम बस से ही चले जाते हैं। मैंने अपने दोस्त को बस के टिकट बुक करने के लिए कहा तो उसने बताया कि थाने जाने के लिए बस कि सिर्फ एक सिंगल सीट नहीं है उसमें जुड़वा सीट मिलेगी।
मैं चाची के साथ एक ही सीट पर साथ में बैठकर नहीं जाना चाहता क्योंकि मैं रात में मोबाइल भी इस्तेमाल करता और कुछ वीडियोस देखता था तो तब मुझे नींद आती थी। अब मेरे सामने मुश्किल यह थी कि सिंगल सीट कोई बची नहीं थी और ज्वाइंट सीट भी दो ही बची हुई थी।
हमें किसी भी हाल में दिल्ली पहुंचना था। यह तो मौके की मजबूरी थी तो मुझे मजबूरन बुक करानी पड़ी। अब हमारी टिकट और सीट कंफर्म हो गई थी पर मैं अभी भी उदास था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मैं अपनी चाची के साथ बैठकर जाऊं।
मुझे तो लग रहा था की चाची के साथ अब मेरे सफर का मजा खराब होने वाला था। मैं घर पर वापसी आया और चाची को बोला हमें आज रात को ही जाना है। रात करीब 8:00 बजे हमारी सारी पैकिंग पूरी हुई और हमें 10:00 बजे करीब निकलना था।
मेरा तो मूड ऑफ था क्योंकि चाची तो मेरे साथ बैठने वाली थी। खैर हम बस में बैठ चुके थे और हमें करीबन 2 घंटे हो चुके थे बस में बैठे हुए हैं और रात के 12:00 बज चुके थे और मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मुझे आदत पड़ गई थी की पहले वीडियो देखता फिर सोता।
अब चाची भी सो गई थी और मेरा मन बार-बार करवटें बदलने को हो रहा था क्योंकि मुझे नींद तो आ नहीं रही थी। एकदम से मुझे पता नहीं क्या हुआ पर मेरा दिल कर रहा था कि मैं ऐसे ही वीडियो देखो देखूं। फिर मैं थोड़ी सी वीडियो देख रहा था तभी चाची उठ गई तो मैंने एकदम फोन की लाइट बंद की और सो गया।
कुछ देर बाद बस बस स्टैंड पर रुकी ताकि हम लोग फ्रेश हो सकते हैं, हमें लगा कि हम पहुंच चुके हैं लेकिन अभी तक हम दिल्ली नहीं पहुंचे थे। दिल्ली पहुंचने के लिए तो बहुत समय बचा हुआ था। हम सब फ्रेश होकर आए कुछ खा पी कर बस में वापसी बैठ गए।
अब हम स्लीपर क्लास में लेट गए थे और चाची मेरे बगल में सो गई थी। और चाची ने करवट दूसरी साइड ले रखी थी तो मैंने सोचा चलो इसी बहाने मोबाइल चला लेता हूँ और कुछ वीडियो देख कर फिर सो जाता हूं।
मैंने वीडियो देखना चालू किया तो चाची ने करवट बदली और मेरी साइड मुंह कर लिया पर वह भी सो रखी थी मुझे लगा चलो चाची को अब शायद गहरी नींद आ चुकी है तो मैं वीडियो देख लेता हूं।
मेरा लंड तो अब खड़ा हो चुका था क्योंकि मैं वीडियो देख रहा था और जैसा आपको पता ही है कि स्लीपर क्लास में ऊपर सोने का कितनी जगह होती है। बिच बिच में एक दो बार मेरा खड़ा लंड चाची के टकराता और में झट से अपने मोबाइल की लाइट को बंद कर लेता।
मुझको तो पता भी नहीं चला कि चाची की नींद खुली हुई है और मुझे तो ऐसा लग रहा था की चाची गहरी नींद में है। मैं अपनी वीडियो देखने में मस्त था और मेरा हाथ मेरी जेब के अंदर मेरे लंड को संवार रहा था।
चाची ने अपनी आंखें खोली मेरे पीछे तो शीशा लगा हुआ था तो उसमें सब दिख रहा था की मैं कोनसी वीडियो देख रहा हूँ। मेरा लंड तो खड़ा ही था। मैंने अपना फ़ोन निचे किया और चाची को देखा कही वो उठी तो नहीं हैं। मैंने देखा तो चाची ने अपनी आँखे बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगी। फिर कुछ देर बाद मैं अपने लंड को धीरे धीरे हिलाने लगा। अब चाची को पता चल गया था की मैं अपने लंड को हिला रहा हूँ।
चाची ने अपनी करवट बदली और अपनी गांड मेरे लंड से चिपका दी। मेरा खड़ा लंड चाची की टांगो के बिच अटक गया था अब ना तो मैं अपने लंड को हिला सकता था और ना ही उसे बहार निकाल सकता था।
पर चाची को तो मस्ती सूझी हुई थी वो बार बार हिलती और मेरे लंड को अपनी गांड से हिलाती। मुझे तो अभी तक ऐसा लग रहा था की चाची अभी भी सो राखी हैं। और आप लोगो को सायद पता तो होगा ही की सिलीपर बस में इतनी जगह भी नहीं होती।
मुझे बहुत मन कर रहा था की आप चाची की गांड में अपना लंड घुसा ही दू। पर डर भी उतना ही लग रहा था की कही चाची भरी बस में बवाल न खड़ा कर दे। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा। कुछ देर बाद रास्ते में एक गड्ढ़ा आया वहां पर रोड थोड़ी सी टूटी हुई थी तो ड्राइवर ने ध्यान नहीं दिया और बिना ब्रेक मारे गड्ढ़ा के ऊपर से ले गया।
बस का पहिया जैसे ही गड्ढ़े में आया तो बस हिल पड़ी और मेरा लंड चाची की गांड में पूरा घुस गया। जैसे ही लंड अंदर घुसा चाची के दर्द हुआ और वो उछल पड़ी। मैंने अपनी आँखे बंद कर ली मुझे लग रहा था की मेरे थपड अभी पड़ा तभी पड़ा पर चाची ने मुझे कुछ नहीं कहा।
मैंने अपना लंड चाची की गांड के छेद के अंदर से बहार निकाला और देखा चाची के सलवार में छेद हो गया था। अब चाची मेरी साइड को घूमी और मुझे देखा मुझे लग रहा था की चाची मुझे अभी गाली सुनाएगी। चाची ने मुझे कहा मुझे सब पता हैं तुम कौनसी वीडियो देख रहे थे।
मैं जबसे सोइ नहीं थी। मैंने चाची से विनती की और कहा चाची किर्प्या चाचा को कुछ मत बताना। चाची ने मुझसे कहा ठीक हैं पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। मैंने पूछा चाची से की मुझे क्या करना होगा। चाची ने सीधा सीधा बोल दिया की क्या तुम मेरी चूत की प्यास बुझाने में मेरी मदत करोगे।
मैं मन ही मन सोच रहा था की मैं खुद अपने लंड की प्यास आपकी चूत से बझाना चाहता हूँ। फिर मेने चाची को कहा अगर मैं ऐसा करूँगा तो। तो चाची ने कहा तुम मेरी प्यास बुझाओ और मैं तुम्हारे लंड की।
चाची में मुझे बिठाया और मेरा पाजामा आधा उतार मेरा लंड बाहर निकाल दिया और उसे हिलाने लगी। चाची में मुझे कहा की तेरा लंड तो तेरे चाचा से भी बड़ा हैं। वो थोड़ा निचे को ओर खिसकी और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया।
कुछ देर चाची मेरा लंड ऐसे ही चुस्ती रही। फिर मैंने चाची को सीधा लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड पे थूक लगाकर उनकी चूत में घुसा दिया। चाची की एकदम आवाज निकली आह।
फिर मैं चाची की चूत में अपने लंड को अंदर बहार अंदर बहार करता रहा और उनके चुचो को चुस्त और कभी दांतो से काटता। कुछ देर चूत मारने के बाद मैंने चाची को उल्टा किया और उनकी गांड में लंड घुसा दिया।
मुझे गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था और चाची को मरवाने में। चाची चाचा की चुदाई से खुश नहीं थी पर घर वालो की सरम के मारे उसने कभी ऐसा कदम नहीं उठाया की किसी बहार वाले के साथ सम्बन्ध बनाये हो।
पर अब मैं जो चाची को मिल चूका था चाची की चूत की प्यास को बुझाने के लिए। अब मेरा लंड ढीला पढ़ने लगा था तो मैंने चची को सीधा किया और उनकी चूत में लंड घुसा कर चूत के अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दिया।
फिर मैं कुछ देर चाची के ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और चाची के चुचो पे सर रख के सो गया।
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