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बेटे की चाह में चुद रही हूँ अपने से आधे उम्र के लड़के से

 दोस्तों मेरा नाम गीता है गीता गोस्वामी, मेरी उम्र 38 साल है। मैं अपने पति और एक बेटी के साथ रहती हूँ। बेटी आठवीं क्लास में पढ़ती है। खूब धन दौलत है। पति खूब कमाते हैं दो नंबर का पैसा है। प्लाट है फ्लैट है। गाड़ियां है। सब कुछ है पर बेटा नहीं है। इसमें दोष ज्यादा पति का है क्यों की शादी के दो साल तक तो वो अच्छे थे पर धीरे धीरे उनका हथियार काम करना बंद का दिया। कितने भी उनके हथियार को अपने बूब्स में रगड़ लूँ। गांड में रगड़ लूँ। चूस लूँ। चूत की पानी में नहा दूँ पर खड़ा ही नहीं होता।

बात बात पर लड़ाई होने लगी। तो पति ने आख़िरकार कह दिया जा तू किसी से भी चुदवा लो और पैदा कर लो बेटा। तुम मुझे जो कहोगी मैं करूंगा। मैं भी चाहता हूँ बेटा पैदा हो ताकि आगे की ज़िंदगी और धन दौलत का रखवाला कोई तो हो। मैं तुम्हे पूरा सपोर्ट करूँगा। तुम चाहे तो अपने मर्जी से किसी से भी सेक्स रिश्ते बना सकती हैं। पर ध्यान रहे किसी ऐसे लड़के या आदमी को पटाना जिससे तुम सिर्फ काम निकाल सको वो बाद में बदनाम नहीं करे ना तो हम परिवाल वाले को निचा दिखाए।

मुझे परमिशन मिल गया था। अब मैं अपना नजर दौड़ाने लगी फिर सोची नहीं नहीं जल्दीबाजी नहीं करनी है जो भी हो कायदे से हो। मेरे घर के पास ही एक इंजीनियरिंग कॉलेज है। वही पढ़ने वाला लड़का मेरे फ्लैट के ऊपर रहने आ गया उसकी उम्र आप समझ सकते हैं कितना होगा। बहुत ही हैंडसम गोरा लंबा और प्यारा सा मुझे लगा की काश ये मुझे मिल जाये तो मेरा काम बन जायेगा।

एक दिन वो सीढियाँ चढ़ जा रहा था तभी मैं पूछी क्या नाम है तुम्हारा वो बोला राज, मैं बोली कहा के रहने वाले हो वो बोला भोपाल के, दिल्ली में कोई रहता है ? वो बोला नहीं पर ऊपर वाला फ्लैट मेरा अपना है। मैं यही रहकर पढाई करूंगा मेरे माँ और पापा दोनों भोपाल में रहते हैं। तो मैं पूछी फिर खाना पीना तो वो बोला मैंने मेस लगा लिया है वही खाया करूँगा। मुझे लगा सही है इससे मेरा काम बन सकता है। धीरे धीरे मेलजोल बढ़ाने लगी और नंबर एक्सचेंज कर लिया।

लड़के बड़े भोले होते हैं कोई भी काम निकलवा लो और खाश कर इस एज का समाजसेवा तो सर पर सवार होता है। छोटी छोटी चीज वो ला देता था जब कॉलेज से वापस आता था। मैं जो भी कुछ कुछ नै चीज बनाती उससे खिला देती। एक दिन के माँ का फ़ोन आया और बोली की बेटा कह रहा है ऑन्टी बहुत अच्छी है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद बहन आप मेरे बेटे का ख्याल एक माँ की तरह रखती हो। मैं सोची क्या समझ रही है ये कुतिया मैं तो अपने चक्कर में हूँ और ये मुझे माँ बना रही है।

एक दिन मेरी बेटी नानी के यहाँ चली गई थी और पति मेरे ऑफिस काम से 10 दिन के लिए बाहर गए थे। मैं घर में अकेली थी। उस दिन सुबह से ही मेरी साँसे तेज तेज चल रही थी की कैसे क्या कहूं क्या तरिका अपनाऊं ताकि वो मुझे मना नहीं करे। डरी हुई थी। कभी लग रहा था थोड़े दिन और रुक जाती हूँ तो कभी लग रहा था मौक़ा है चुदवा लेती है। सुबह से शाम हो गई टेंशन में। रात हुई धड़कन तेज होने लगी कैसे क्या कहूं की वो मुझे चोद दे।

हिम्मत नहीं हुई कहने की रात के करीब 10 बज गए थे। सोची छोड़ो आज रहने देते हैं फिर कभी और मैं नाईट सूट में आ गई रात को मैं ढीला ढाला सूती की नाइटी ब्रा खोल के और अंदर पेंटी पहन कर सोती हूँ। मैं आराम से लेट गई और मोबाइल पर नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ने लगी तभी एक कहानी पढ़ी की एक औरत अपने से छोटे लड़के को रात में तबियत खराब होने के बहाने बुलाई। आईडीआ सही लगा और मेरी धड़कन फिर से तेज हो गई।

फ़ोन लगा कर बोली राज, क्या कर रहे हो ? वो बोला पढ़ रहा हूँ ऑन्टी क्या बात है इतनी रात को कोई समस्या तो नहीं। मैं लड़खड़ाते आवाज में बोली हां हां देखो अंकल भी नहीं है बिटिया भी नहीं है मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है। समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ मेडिकल भी बंद हो गए मैं क्या करूँ। वो तुरंत ही भागा भागा आया। दरवाजे खोली और लेट गई। वो बोला मैं क्या करूँ। मुझे लगा यही मौक़ा है। तो मैं बोली ऐसा मेरे साथ होता है दर्द और काफी बढ़ जाता है अगर तुम थोड़ा किचन से सरसों का तेल गरम कर के ले आओ तो पेट पर लगा लुंगी।

वो तुरंत ही तेल गरम कर के ले आया। मैं उसको बेड पर बैठने बोली और झूठ मुठ का रोने का नाटक करने लगी ताकि दर्द बहुत ज्यादा है। मैं अपने नाइटी को पेट तक कर दी अब मेरा पेंटी और भाभी गोल गोल जांघें दिखाई देने लगा। बस अपने चूची को नहीं दिखाई। वो मेरे जिस्म को निहार रहा था ऐसा लग रहा था मलाई सामने बेड पर है वो पेट नाभि जांघ पेंटी पुरे पैर को निहार रहा था। मैं तेल लगाते हुए बोली मेरे से नहीं हो रहा है राज क्या मेरे पेट में हलके हलके तेल लगा दोगे अगर तुम बुरा ना मनो तो। वो बोला नहीं नहीं ऑन्टी इसमें कौन से बात है।

वो सकपकाते हुए मेरे पेट पर तेल लगाने लगा मैं अपनी पेंटी थोड़ी निचे कर दी। चूत के बाल पेंटी के ऊपर से हलके हलके दिखाई देने लगे। धीरे धीरे मैं अपने पैर को फैला दी। और नाटक करते रही धीरे धीरे मैंने उसको छाती में तेल लगाने के लिए बोली वो डरते डरते लगाने लगा मैं बोली कुछ नहीं होगा तुम आराम से लगा दो तेल। और मैं खुद ही नाइटी ऊपर कर दी।

 उसके सामने अब गोल गोल चूचियां दिखई देने लगी। वो मेरी चूची पर तेल लगाने लगा। वो कामुक होने लगा उसके दांत पीसने लगे और लौड़ा खड़ा हो गया। मैं उसके चेहरे की हावभाव से समझ रही थी उसका दर ख़तम हो गया था और वो भी चढ़ने को तैयार था। मैं नाइटी खोल और और पेंटी भी उतार दी। सो सन्न रहा गया। मैं हाथ फैलाई और वो मेरी बाहों में आ गया वो एक बच्चे की तरह मेरी चूचियों से खेलने लगा पिने लगा बन्दर की तरह ऊपर से निचे कभी होठ चूसता कभी चूचियां कभी चूत चाटता कभी गांड में ऊँगली देता कभी चूत में कभी वो अपने जीभ को मेरे मुँह में कभी गर्दन चूमता और दोनों बातों से चूचियां दबाने लगा.

 मैं तो काफी ज्यादा कामुक हो गई थी उससे भी ज्यादा वो हो गया था। वो अपने सारे कपडे उतार लिए और बोला थैंक्स ऑन्टी अब मुझे आपकी याद में मूठ नहीं मारना पडेगा अब तो आप मुझे असली में मिल गई हो। और जो मेरी टांग को अलग अलग कर के बिच में बैठ गया और मेरे चूत से निकली हुई पानी चाटने लगा मैं आह आह कर रही थी और पानी छोड़ रही थी मेरी चूत काफी गरम हो गई थी।

 उसने अपना लौड़ा मेरे चुत पर रखा और मेरे पर लेट गया शायद उसको चोदने नहीं आ रहा था अनजान था. मैं थोड़ा मुस्कुरा दिन बोली अपने लौड़े को फिर से लगाओ। वो लगाने लगा तभी मैं खुद से ही उसके लौड़े को अपनी चूत पर सेट की और दोनों तरफ से धक्के दिए और उसका मोटा लौड़ा मेरी चुत में चला गया। ओह्ह्ह्हह जन्नत मिला गया था दोस्तों मैं इस समय को अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकती।

 फिर शुरू हो नई ज़िंदगी, चुदाई का खेल, वासना का खेल, और ज्यादा उम्र के औरत और लड़के की चुदाई, नाजायज़ सम्बन्ध, वासना की चाह की पूर्ति, मैं आह आह ओह्ह ओह्ह कर रही थी और जोर जोर से चुदाई कर रही थी। वो पसीने पसीने हो गया था बहुत ही तेज गई से मुझे चोद रहा था। कभी मैं निचे कभी मैं ऊपर कभी मैं बैठ कर कभी साइड होकर कभी खड़े होकर कभी दीवाल के सहारे, रात भर चुदाई करवाई। राज ने मुझे खूब चोदा।

 रात भर दोनों एक ही बेड पर सोये खूब मजे किये। फिर क्या था दोस्तों छह महीने तक ये सब खेल चलता रहा. पति जानबूझकर भी आठ दस दिन के लिए बाहर चले जाते राज और मेरी चुदाई चलती रही। पर अभी तक मैं माँ नहीं बन पाई हूँ उलटे चुड़क्कड़ हो गई हो। अब तो मुझे अलग अलग लंड खाने का मन करता है।

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