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पति का प्रमोशन-2

 मेरी कहानी के पहले भाग मेरी चूत चुदाई से पति का प्रमोशन-1में अब तक आपने पढ़ा कि मेरे पति मुझे अपने बॉस के घर डिनर के लिये ले गये. मेरे पति के प्रमोशन के बदले उसके बॉस की नजर मेरी जवानी पर थी, मुझे लगा कि वो मुझे चोदना चाह रहे हैं. इसमें मेरे पति नितिन की रजामंदी भी थी और ये बात मुझे नहीं मालूम थी.

अब आगे:

सर के मुँह से मेरे पति की रजामंदी से मुझे चोदने की बात सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई- सर क्या बात कर रहे हो? वो क्यों ऐसा करेंगे?
“तुम तो समझदार हो … उसे अपने प्रमोशन के लिए मुझसे रिकमेंडेशन चाहिए … मैंने रिकमेंडेशन दे दिया, तो उसे प्रमोशन मिल जाएगा.”

उनकी बातें मेरे कानों में गर्म लावा डाल रही थीं, मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि प्रमोशन के लिए नितिन ये भी कर सकता है.

“जरा सोचो … नितिन का परचेज़ मैनेजर बनने का ये एक मौका है … वो नहीं बनेगा, तो उसका कोई कलीग मैनेजर बन जायेगा … बाद मैं ऐसा मौका कब मिलेगा पता नहीं. बिना अच्छी इन्क्रीमेंट के अपनी ऐशोआराम की जिंदगी कैसे मैनेज करोगी. मैनेजर बनने के बाद नितिन की ऊपरी कमाई भी अच्छी होगी. तुम दोनों को जो चाहिए, वो देना अब मेरे हाथों में है … और मुझे जो चाहिए वो देने के लिए नितिन तुम्हें यहाँ लेकर आया है. तुम दोनों के अच्छे फ्यूचर के लिए थोड़ी कीमत तो चुकानी पड़ेगी.”

मुझे सुसु आयी थी, ये तो मैं भूल ही गयी थी. मेरे दिमाग में सवालों ने घर कर लिया था. क्या करूं? कर दूँ बदन उनके हवाले? नितिन से धोखा नहीं कर सकती? क्या सच में नितिन के मन में भी यही है? मैं शर्मा सर से नजर नहीं मिला पा रही थी, तो मैंने नजरें झुका दीं.

तभी मेरी नजर उनके पैंट पर पड़ी, उनके पैंट में तंबू बना हुआ था. पैंट की चैन के नीचे का वह आकार साफ साफ दिख रहा था. ऐसा बोलना तो नहीं चाहिए, पर उस आकार को देख कर मैं चकित हो गयी थी. नितिन के लिंग के आकार को लेकर मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली महसूस करती थी पर शर्मा सर का लिंग तो नितिन के लिंग से बड़ा महसूस हो रहा था.

ऊपर देखा मैंने तो उनकी आंखों में ‘है ना बड़ा?’ के भाव थे और हल्की सी मुस्कान थी- तो मैं तुम्हारी हां समझूं?
मैंने सिर्फ गर्दन हां में हिलाई और अपनी नजरें नीची कर लीं.

शर्मा सर मेरे सामने घुटनों पर बैठ गए. मेरी साड़ी पेटीकोट के साथ उठाकर उन्होंने मेरे हाथ में दिया. मेरी गोरी जांघें उनके सामने नंगी हो गईं. शर्मा सर थोड़ा आगे आ गए, उनकी गर्म सांसें मेरी जांघों पर गुदगुदी कर रही थीं.
“नीतू … साड़ी ऐसे ही पकड़े रहो … मैं तुम्हारी पैंटी उतारता हूँ.”

उनका हाथ अब मेरी पैंटी पर आ गया था, मेरी मदनमणि को वो मेरी पैंटी के ऊपर से सहलाने लगे. अब मेरी चुत गीली होने लगी थी.
“सर जल्दी निकालो … मुझे ज़ोरों की लगी है.” मुझे अब प्रेशर सहन नहीं हो रहा था. उनका मेरे अंगों को छेड़ने से चुत पर से मेरा कंट्रोल छूट रहा था, मुझे तो डर रहा कि कहीं सुसु पैंटी में ही ना निकल जाये.
“होने दो … ज्यादा से ज्यादा फर्श ख़राब हो जाएगा.” शर्मा सर हंसते हुए बोले.

फिर मैंने ही पहल की और पैंटी को नीचे सरकाने लगी, जैसे जैसे मेरा योनिप्रदेश उनके सामने अनावृत हो रहा था, वैसे वैसे उनकी आंखों में चमक दिखाई दे रही थी. जैसे ही पैंटी मेरी बदन से अलग हुई, शर्मा सर ने उसे मेरे हाथों से छीन कर अपनी जेब में डाल लिया.

मैं उन्हें कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी. मैं फुर्ती से बाथरूम में घुसी.
तो शर्मा सर भी उतनी ही फुर्ती से उठे और दरवाजे मैं पैर फंसाकर मुझे दरवाजा बंद करने से रोक दिया- इतनी जल्दी भी क्या है … मुझे भी तुम्हें सुसु करते हुए देखना है.

मैं बहुत शर्मा रही थी, नितिन ने भी कभी मुझे ऐसा नहीं देखा था. शर्मा सर ने मुझे कमोड पर बैठने को बोला, मैं विरोध करने की स्थिति में नहीं थी. मैं मटक कर कमोड पर बैठ गयी. ठंडी सीट का स्पर्श बदन पर होने से मेरा कंट्रोल छूट गया और चुल्ल … की आवाज करते हुए मैं सुसु करने लगी. प्रेशर रिलीज होने की वजह से बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और मेरी आंखें अपने आप ही बंद हो गईं.

मैं बहुत देर तक मूतती रही थी, अचानक मूत की आवाज के बीच तेज सांसों की आवाज सुनाई देने लगी. मैंने आंख खोली तो सामने शर्मा सर कमोड से सामने बैठ कर मेरा उत्सर्ग देख रहे थे. मुझे एक अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी. सुसु की हल्की धार अभी भी मेरी चुत से छूट रही थी.

सुसु पूरी होने से मुझे बहुत रिलीफ महसूस हुई और मेरी आंखें बंद हो गईं. तभी अचानक चैन के खुलने की आवाज आई. मैंने आंखें खोलीं, तो सामने शर्मा सर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया था. उनके चेहरे पर अभिमान के भाव थे.

“मैंने तुम्हारी चुत देख ली … अब तुम्हें अपना लंड दिखाना होगा न.” वो आगे सरकते हुए बोले.

उनका लंड काफी बड़ा था, उनका लंड मेरे काफी करीब था, इसलिए उसके ऊपर की नसें भी साफ साफ दिखाई दे रही थीं. सर के लंड की चमड़ी हल्की सांवली थी, पर टोपा हल्का गुलाबी रंग का था.

“हाथ लगाओ न इसे … वो तुम्हें खाएगा नहीं … उल्टा तुम्हें उसे खाने का मन होगा.”

उनके अभिमान भरे शब्दों से मेरे बदन में रोमांच पैदा हो गया. मैंने सम्मोहित हो कर उनकी लंड पर हाथ रखा, तो मुझे मानो करंट लगा हो. उनका लंड किसी गर्म लोहे की रॉड की तरह कड़क और गर्म था.
नितिन के साथ मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ. तभी एक तेज सनक मेरी चुत से निकली. नितिन की याद आते ही मैंने मेरा हाथ पीछे खींच लिया और मैंने हॉल में वापिस जाने की सोची.

मैं अपने आपको संभालते हुए उठ कर खड़ी हुई. शर्मा सर ने मुझे मदद की, इस उम्र में भी उनकी पकड़ बहुत मर्दाना थी. हम दोनों हॉल में आ गए. नितिन ने सोफे पर सिर रखकर अपनी आंखें बंद कर दी थीं.

“नितिन, एक और पैग हो जाए.” शर्मा सर ने पूछा.
“नहीं सर मुझे बहुत हो गयी है, मैं सोना चाहता हूं.” नितिन बोला.
“ठीक है, तुम थोड़ा सो लो, तुम्हें अच्छा लगेगा … तब तक मैं नीतू को बेडरूम में ले जाता हूं … तुम्हें चलेगा ना?” शर्मा सर ने नितिन को जानबूझ कर ये सवाल पूछा.
“बाय आल मीन्स सर … उसी के लिए ही उसे यहाँ लाया हूँ … आप एन्जॉय करो.”

मुझे तो नितिन पर चिढ़ आने लगी थी, मुझे ऐशो आराम में जीने की आदत थी, पर इसलिए मेरा पति मुझे अपने बॉस को अर्पण कर रहा था. तो मैं ही क्यों पतिव्रता बनी रहूं. मैंने भी शर्मा सर जैसे तगड़े मर्द के साथ पूरी तरह एन्जॉय करने की सोच ली. वो भी कोई अपराध भावना मन में ना रखते हुए.

“चलो सर … ” मैं शर्मा सर के आंखों में आंखें डाल कर मीठी आवाज में बोली.

रूम में आते ही शर्मा सर ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, अब मुझे शर्माने की जरूरत नहीं थी.

कुछ ही देर पहले सर ने मेरी चुत नंगी देखी थी. शर्मा सर ने बड़े आराम से मेरा नग्न शरीर को बेड पर लिटाया और तेजी से मेरी जांघों के बीच बैठ गए. मेरी भी लाज शर्म अब उतार गई थी, तो मैंने भी अपनी उंगलियों से मेरी चुत की पंखुड़ियां खोल कर अन्दर की गुलाबी गुहा उनको दिखाने लगी.

“ब्यूटीफुल होल …” शर्मा सर नजदीक से मेरी चुत को आंखें फाड़ कर देख रहे थे- इतनी सुंदर चुत मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखी!
“सर … आप भी मेरी तरह नंगे हो जाओ ना!” मैंने कामुक आवाज में उनको कहा.

शर्मा सर बेड से नीचे उतरे और एक एक कपड़े उतार कर पूरे नंगे हो गए. उनका लंड अब मचल उठा था. पूरी तरह तना लंड उनकी नाभि को छू रहा था. उसकी लंबाई और चौड़ाई देख कर मेरे मुँह में और चुत में एक साथ पानी आ गया.

अब सर ने मुझे किस करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने होंठ मेरे माथे पर रखे, फिर आंखों पर किस करते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया.

मेरे तने हुए मम्मों को वो अपने हाथों से दबाने लगे. उनकी उंगलियां मेरे निपल्स को बेरहमी से मसलने लगी थीं. उनके स्पर्श में मर्दानगी थी, पर उस वक्त मुझे तकलीफ ना हो, उसका भी ख्याल वे रख रहे थे. मेरे होंठ चूसने से और मम्मे दबाने से मेरी जांघों के बीच आग भड़कने लगी थी.

मेरे तने हुए निप्पलों को अब उन्होंने अपने होंठों में पकड़ लिया और अपना हाथ मेरी चुत पर ले आए. मेरी चुत भी उनके मर्दाने स्पर्श को व्याकुल थी. शर्मा जी किसी वीणा के तारों को छेड़ने की तरह मेरी चुत को छेड़ने लगे. कभी अपनी गीली उंगलियों से मेरी चुत के दाने को छेड़ते, तो कभी अपनी बड़ी सी उंगलियां चुत के अन्दर लंड की तरह अन्दर बाहर करते. मेरे पूरे शरीर में मस्ती की लहरें उठ रही थीं.

उनकी कामुक हरक़तों की वजह से मेरी चुत अब बहने लगी थी. अब उसे अपने अन्दर कोई गर्म, लंबी कड़क चीज चाहिए थी. मैं अपनी आंखों में कामुक भाव लाते हुए उनसे बोली- सर … क्यों सता रहे हो … डाल दो ना आप का लंड मेरी चुत के अन्दर!
“जो हुकुम डार्लिंग!” बोल कर शर्मा सर धीरे से मेरे ऊपर चढ़ गए.

मरे पति के बॉस लंड चूत के अन्दर ना डालते हुए अपने लंड को मेरी चुत के ऊपर घिसने लगे. वे अपने कड़क लंड के सुपारे से मेरी चुत के होंठ मसलने लगे. उनका लंड मेरी चुत के दाने को भी मसल रहा था. मैं अति उत्तेजना में अपने होंठों को दांतों तले दबाने लगी थी.

फिर उन्होंने अपने हाथों से मेरे बाएं स्तन को पकड़ा और मसलने लगे. वो बहुत मंजे हुए खिलाड़ी लग रहे थे. मेरा पूरा बदन रोमांचित हो गया था और मैंने अपनी आंखें बंद कर दी थीं.

मेरी बंद आंखों को उनके होंठों का स्पर्श महसूस हुआ, मेरे नाक को हल्के से काटकर उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये. मैंने भी अपने होंठ खोल कर उनका स्वागत ठीक वैसे ही किया, जैसे मैंने अपनी चुत खोल कर किया था. उस वक्त मेरी जरूरतें, नितिन का प्रमोशन सब कुछ झूठ था. यदि कुछ सच था, तो मेरे बदन की कामवासना.

मैंने उनकी कमर को पकड़ कर उन्हें आगे बढ़ने को बोला. उन्होंने अपना मूसल एक ही झटके में मेरी चुत के अन्दर डाल दिया. मैं जोर से चीख उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाँ!
मैंने अपने पैरों से उनकी कमर को भींच लिया और उन्हें अपने बदन पर खींचा. उनके शरीर का कुछ भी भार मुझे महसूस नहीं हो रहा था, उनका पूरा लंड मेरी चुत में घुसा हुआ था.

“तकलीफ नहीं हो रही है ना तुम्हें?” उन्होंने प्यार से पूछा.
“नहीं सर … बिल्कुल नहीं … आहह … अब रुको मत … और तेजी से चोदो!” मैं कामवासना में बहकी बहकी बातें करने लगी थी.
“यस … मुझे भी अब खुद पर काबू रखना मुश्किल हो रहा है, कितने दिन से तुम्हें चोदने की इच्छा थी … तुम्हारी खूबसूरती के बारे में कंपनी की हर जूनियर की बीवी से सुना था..” बड़ी बेरहमी से धक्के लगाते हुए शर्मा सर बोले.

शर्मा सर ऊपर से दनादन धक्के देने लगे थे, मैं भी नीचे से कमर उठाकर उनका साथ दे रही थी. पूरा कमरा मेरी मादक सीत्कारों से गूंज रहा था. मेरे होंठों को उनके होंठ और उनके हाथ मेरे मम्मों को जबरदस्त मसल रहे थे. मेरी चुत के होंठ उनके लंड को बड़े प्यार से जकड़े हुए थे.

इस वक्त मैं नितिन को पूरा भूल गयी थी, अब मैं सिर्फ कामवासना में तड़प रही एक नारी थी, जिसे शर्मा सर जैसा मर्द भोग रहा था.

कुछ देर बाद शर्मा सर ने धक्के और तेज कर दिए, मेरी कामवासना भी अपनी सीमा पर पहुंच गई थी. मैंने अपने नाखूनों को उनकी पीठ में गड़ा दिए थे.
“सर अब सहन नहीं हो रहा … बुझा दो मेरी चुत की आग, अपने लंड के पानी से!”
“यस नीतू … तुम्हें चोद चोद कर तुम्हारी चुत की आग शांत कर दूंगा.”
शायद वो भी अपने मुकाम पर पहुँचने वाले थे.

कुछ ही देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा, मैं अपने पैर छटपटाते हुए झड़ने लगी. दो तीन धक्के बाद शर्मा सर लंड भी अकड़ने लगा और उनका गर्म लावा मेरी चुत की गहराई में गिरने लगा. हम दोनों वैसे ही एक दूसरे ही बांहों में ढेर हो गए.

थोड़ी देर बाद हम दोनों की नींद खुली, हम दोनों ने फ्रेश हो कर कपड़े पहन लिए. मैं हॉल में आ गयी, तो देखा कि नितिन अभी भी सोफे पर सोया हुआ था. मैंने उसे उठाया और हम अपने घर जाने के लिए निकले.

“रुको एक मिनट!” घर के बाहर निकलते ही मैं नितिन को बोलकर वापिस घर के अन्दर चली गई.
शर्मा सर सोफे पर बैठे थे, मुझे देख कर वो बहुत खुश हुए. उन्होंने आगे आकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे.
“नीतू डार्लिंग … एक और राउंड करेंगे क्या?” सर बोले.
“नहीं सर … आज बहुत थक गई हूं … फिर कभी!”

कुछ पल रुक कर मैंने उनसे कहा- सर, एक बात पूछनी थी आपसे?
“पूछो ना!” सर बोले.
“आपकी वजह से नितिन को प्रमोशन मिल जाएगा, पर आप के बाद नितिन का नया बॉस कौन होगा … आप जिस तरह नितिन को सपोर्ट करते हो, उसी तरह क्या वो भी नितिन को सपोर्ट करेगा?”

शर्मा जी मेरी बात सुनकर हँसने लगे- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं जाते वक्त नितिन का रेकमेंडेशन नए बॉस के पास करके जाऊंगा … और उसे बताऊंगा के नितिन के पास तुम्हारे जैसा कितना बड़ा एसेट है … जैसे तुमने मुझे खुश किया, वैसे ही उसे भी कर देना … फिर तुम्हें उसके करियर की टेंशन लेने की कुछ भी जरूरत नहीं.

मैं हतप्रभ भी थी और कुछ खुश भी थी. बस चिंता इस बात की थी कि नए बॉस का लंड शर्मा सर जैसा लंड न हुआ तो?

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